जल्द ही महाकुंभ की शुरुआत होने जा रही है। साल 2025 में प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन सोमवार 13 जनवरी से होने जा रहा है। यह लोगों की आस्था का एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है जिसमें करोड़ों की संख्या में भीड़ जुटने का अनुमान है। यह महाकुंभ इसलिए भी खास होने वाला है क्योंकि इसका आयोजन 144 वर्षों बाद होने जा रहा...
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में महाकुंभ किसी पर्व से कम नहीं है। इसे लेकर यह मान्यता है कि जो भी व्यक्ति महाकुंभ में स्नान करता है, उसके सभी पाप धुल जाते हैं और उसे जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। कुंभ से संबंधित एक प्रचलित दंतकथा भी मिलती है, जिसके अनुसार चंद्रमा द्वारा की गई एक गलती की वजह से कुंभ का आयोजन होता है। हालांकि इस कथा का वर्णन पुराणों में नहीं मिलता। बल्कि इस दंतकथा का वर्णन इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में प्राचीन इतिहास के प्रोफेसर डॉ. डी.पी.
दुबे की पुस्तक कुंभ मेला: पिलग्रिमेज टू द ग्रेटेस्ट कॉस्मिक फेयर’ में किया गया है। चलिए जानते हैं इसके बारे में। दंतकथा के अनुसार पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार अमृत पाने की चाह में देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ। इस दौरान कई तरह के रत्नों की उत्पत्ति हुई, जिन्हें सहमति के साथ देवताओं और असुरों ने आपस में बांट लिया। लेकिन जब आखिर में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर बाहर निकले, तो अमृत को पाने के लिए देवताओं और असुरों के बीच युद्ध छिड़ गया। चंद्र देव को मिली थी ये जिम्मेदारी असुरों से अमृत...
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