Prayagraj Triveni Sangam Story प्रयागराज में त्रिवेणी संगम का जल पापमुक्ति तो कराता ही है साथ ही में मोक्ष भी प्रदान करने वाला है, आइए जानते हैं प्रयागराज में त्रिवेणी संगम से जुड़ी प्राचीन कथा है। कैसे कुंभ नगरी के त्रिवेणी जल की महिमा से एक प्रेत हुआ प्रेत योनि से...
Prayagraj Triveni Sangam : कहा जाता है कि अनादि काल में केरल में वसु नाम का एक ब्राह्मण रहता था, उसका आचरण बेहद खराब था। उसके बंधुओं ने उसे भूमिहीन करके घर से निकाल दिया। वह दुःखी हो निर्धनता में अपने जन्मभूमि को त्याग इधर-उधर भटकने लगा। जंगलों से भटकता हुआ भूख-प्यास से व्याकुल वह ब्राह्मण विंध्य पर्वत पहुंचा और तड़पते हुए उसकी मृत्यु हो गई। कहा जाता है उसका दाह-संस्कार न होने के कारण प्रेत बनकर वन की कंदराओं में चिरकाल तक निवास करता रहा। वह गर्मी-सर्दी से परेशान बिना जल के हाहाकार करते हुए...
तुमने जल नहीं दिया तो मैं तुम्हारे प्राण ले लूंगा। प्रेत के वचन सुन पथिक बोला, नीलवर्ण, भयंकर चंचल नेत्र वाले तुम कौन हो और तुम्हारा शरीर मांस रहित क्यों है। इस पर प्रेत ने उसे बताया कि मैं लोभी, मलिन, व्यभिचारी, क्रियारहित ब्राह्मण था। पूर्व जन्म के ऐसे कर्मों के कारण ही मेरी ऐसी दुर्दशा हुई है। पथिक ने प्रेत को जल दे दिया है। प्रेत ने जल पीया और उसी क्षण वह प्रेत योनि से मुक्त हो दिव्य देह धारी हो गया। उस दिव्य पुरुष ने कहा कि, ‘हे पथिक! त्रिवेणी के जल की महिमा का वर्णन कोई नहीं कर सकता। इसे...
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