Opinion: लेटरल एंट्री पर सरकार का यू-टर्न, गठबंधन दौर की मजबूरियां या विपक्ष का दबाव

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Opinion: लेटरल एंट्री पर सरकार का यू-टर्न, गठबंधन दौर की मजबूरियां या विपक्ष का दबाव
चिराग पासवानयूपीएससीLateral Entry
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सरकार ने 45 पदों पर लेटरल एंट्री का प्रस्ताव दिया, जिसे विपक्ष ने आरक्षण विरोधी बताया और जोरदार विरोध किया। बढ़ते दबाव के कारण सरकार को वापस लेना पड़ा। सरकार ने विशेषज्ञता लाने की जरूरत बताई थी, मगर विपक्ष ने इसे राजनीतिक साजिश बताते हुए विरोध किया।

लेखक: रुचि गुप्ता यूपीएससी में लेटरल एंट्री को लेकर हुए बवाल ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है। सरकार ने 45 पदों पर लेटरल एंट्री का प्रस्ताव दिया था, लेकिन विपक्ष के विरोध के बाद उसे वापस लेना पड़ा। विपक्ष का कहना था कि सरकार आरक्षण खत्म करने की कोशिश कर रही है। यह पूरा मामला जून 4 को नई सरकार बनने के बाद शुरू हुआ। सरकार ने 45 पदों पर लेटरल एंट्री के जरिये एक्सपर्ट्स को नियुक्त करने की बात कही थी। इन पदों पर आरक्षण का प्रावधान लागू नहीं था। विपक्ष ने इस पर तुरंत एतराज जताया और इसे आरक्षण खत्म...

था कि सरकार के पास पहले से ही सलाहकारों, समितियों और सलाहकारों के रूप में विशेषज्ञता हासिल करने के कई रास्ते हैं। विपक्ष ने यह भी कहा कि प्रशासन में असली चुनौती तकनीकी जानकारी की नहीं, बल्कि राजनीतिक समझ, प्राथमिकता तय करने और आम सहमति बनाने की होती है। और यह काम कोई अस्थायी नियुक्ति से नहीं हो सकता।योग्यता vs आरक्षण पर बहसइस पूरे विवाद में एक बार फिर योग्यता और आरक्षण को एक दूसरे के विपरीत खड़ा करने की कोशिश की गई। बीजेपी पर पहले से ही आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगता रहा है, और इस फैसले ने इस...

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