Pitru Paksha 2024 Date: 7 पीढ़ी और 108 कुलों का उद्धार, जानें क्यों गया में पिंडदान करने दूर-दूर से आते हैं लोग

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Pitru Paksha 2024 Date: 7 पीढ़ी और 108 कुलों का उद्धार, जानें क्यों गया में पिंडदान करने दूर-दूर से आते हैं लोग
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Pitru Paksha 2024: पितरों का श्राद्ध करने के लिए बिहार के गया जिले की धरती को सबसे उत्तम माना गया है. ऐसी मान्यताएं कि भगवान श्रीराम के पिता राजा दशरथ का श्राद्ध भी गया की पवित्र धरती पर ही किया गया था.

Pitru Paksha 2024 Date : 17 सितंबर से पितृपक्ष शुरू होने जा रहे हैं. 18 सितंबर को पितृपक्ष का पहला श्राद्ध किया जाएगा. 18 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या पर आखिरी श्राद्ध के साथ ही पितृपक्ष समाप्त हो जाएंगे. पितृपक्ष में पितरों का तर्पण और पिंडदान करने की परंपरा है. कहते हैं कि इन पवित्र दिनों में पितरों का विधिवत श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. साथ ही, पितृदोष जैसी समस्याओं से लोगों को मुक्ति मिलती है. वैसे तो पितरों का श्राद्ध किसी भी पवित्र नदी के घाट पर किया जा सकता है.

गया में पितरों के श्राद्ध को लेकर एक पौराणिक कथा भी है. कहते हैं कि गयासुर नामक असुर ने भगवान विष्णु से वरदान प्राप्त किया था कि उसके शरीर पर यज्ञ करने से पितरों को मुक्ति मिलेगी. तब से ही गया पिंडदान और तर्पण के लिए सर्वोत्तम माना जाता है.Advertisementभागवत गीता में भी गया में श्राद्ध का जिक्रगया में श्राद्ध और पिंडदान के महत्व को श्रीमदभागवत गीता में भी समझाया गया है. यहां एक श्लोक का वर्णन किया गया है.

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