पितृ पक्ष को बेहद अहम समय माना जाता है जब लोग अपने पूर्वजों की अत्यधिक श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है जो लोग पितृ दोष से परेशान हैं उनके लिए भी यह समय बहुत खास होता है क्योंकि इस दौरान पितरों का तर्पण करके इस दोष से राहत मिल जाती...
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से पितृ पक्ष शुरू होने जा रहे हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार के पितरों से जुड़े अनुष्ठान किए जाएंगे। इसकी समाप्ति सर्वपितृ अमावस्या के साथ होगी, जो 2 अक्टूबर, 2024 को है। पितृ पक्ष पूर्वजों को समर्पित है। यह काल पितरों की पूजा के लिए सबसे पवित्र काल माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष अवधि में पितृ धरती लोक में आकर सभी के कष्टों को दूर करते हैं, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं। इसके बिना अधूरे हैं श्राद्ध...
जो पूर्ण रूप से पूर्वजों को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि ये अनुष्ठान दिवंगत लोगों की आत्मा को शांति प्रदान करते हैं और उन्हें सांसारिक मोह-माया से मुक्ति दिलाने में मदद करते हैं। परंपरागत रूप से, सबसे बड़ा बेटा या परिवार का कोई अन्य पुरुष सदस्य इन अनुष्ठान को पूर्ण करते हैं। इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पितरों का प्रसन्न करने का मंत्र 1. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥ 2.
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