Pitru Paksha 2024 : जो भी वस्तु हम पितृ पक्ष में पितरों का ध्यान कर, श्रद्धापूर्वक सच्चे मन से पितृ मुक्ति की कामना करते हुए पितरों को अपृण करते हैं, वे पितृ गण ग्रहण कर तृप्त होने पर आशीर्वाद प्रदान करते हैं, जिससे श्राद्धकर्ता के सभी रुके हुए कार्य पूर्ण होते...
श्राद्ध क्या है - ‘‘श्राद्ध प्रकाश’’ के अनुसार पकाए हुए शुद्ध पकवान व दूध, दही, घी आदि को देश काल, पात्र के अनुसार तिल, कुश, जल के साथ दिया हुआ दान ही श्राद्ध है। श्राद्ध की मूलभूत परिभाषा यह है कि पितृ के निमित्त, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक जो अर्पित किया जाता है, वह श्राद्ध है। इससे सिद्ध है कि शास्त्रोक्त विधि-विधान से पितरों के निमित्त उन्हें तृप्त करने हेतु दिया हुआ दान ही श्राद्ध है। श्राद्धों का पितरों के साथ अटूट संबंध है। श्राद्ध पितरों को आहार पहुंचाने का माध्यम है।...
विधि-विधान - साधारण गृहस्थ श्राद्ध कर्म की विधि अनुसार तीन प्रमुख कार्य कर पितरों को संतुष्ट कर सकते हैं, पहला पिंडदान, दूसरा तर्पण और तीसरा ब्राह्मण भोजन। प्राचीन समय में सुबह उठकर श्राद्ध आदि कर्म करने वाला व्यक्ति स्नान आदि कर देव स्थान व पितृ स्थान को गाय के गोबर से लीपकर व गंगाजल से पवित्र करते थे, महिलाऐं शुद्ध होकर पितरों के लिए भोजन बनाती थीं। दक्षिण मुख होकर आचमन एवं मार्जन कर जनेउ को दांऐं कंधे पर रखकर चावल , गाय का दूध, घी, शक्कर एवं शहद को मिलाकर बने पिण्डों को श्रद्धा भाव के साथ...
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