गया में पितृपक्ष के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। ब्रह्म सरोवर के किनारे पिंडदान और तर्पण की क्रियाएं विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। श्रद्धालु सूर्योदय होते ही सरोवर की ओर प्रस्थान करते हैं और पूरा परिसर पिंडदानियों से भर जाता है। वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कर्मकांड संपन्न कराया जाता है। रविवार को पिंडदानियों ने विष्णुपद मंदिर में स्थित देव...
जागरण संवाददाता, गया। मनुष्य पर मुख्य रूप से तीन ऋण होते हैं: पितृ, देव, और ऋषि ऋण। इनमें से पितृ ऋण सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसके निवारण के लिए श्रद्धालु पितृपक्ष में गयाधाम का रुख कर रहे हैं। इस अवधि में, पिंडदान और तर्पण की क्रियाएं विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। पितृपक्ष के चतुर्थी तिथि, यानी शनिवार को, श्रद्धालुओं ने ब्रह्म सरोवर के किनारे पिंडदान किया। ब्रह्म सरोवर की क्या है पौराणिक मान्यता ब्रह्म सरोवर को सनातन धर्म में विशेष मान्यता प्राप्त है, यह मान्यता है कि यहां ब्रह्माजी ने...
के लिए पंखे लगाए गए थे, जिससे उमस भरी गर्मी में थोड़ी राहत मिली। मंत्रोच्चारण के साथ पूर्ण होता कर्मकांड श्रद्धालु अपने साथ जौ का आटा, चावल, काला तिल, दूध, घी, फल, और बर्तन जैसी सामग्री लेकर आए थे, जहां गयापाल पुरोहितों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कर्मकांड संपन्न कराया। पितरों को अर्पित पिंड को कागवली वेदी में प्रवास कराया गया, जहाँ कुंड में काग, यमराज और स्वान की प्रतिमा स्थापित है। रूद्रपद, ब्रह्मपद, और विष्णुपद वेदियों पर विशेष अनुष्ठान सात, नौ, 11, और 17 दिनों के कर्मकांड करने के लिए सबसे...
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