Ghazipur Landfill Garbage Waste Crisis.
कचरे के पहाड़ पर जिंदगी- दबकर मरो या बीमारी से, शिकायत की तो बेघर‘एक दिन कचरे का ढेर ढह गया। मेरे पति के भाई उसमें दब गए। मेरी सास खूब रोईं, तब से ही बीमार हैं। हमने डर से FIR भी नहीं कराई। पुलिस आती तो काम रुक जाता, बस्ती भी उजाड़ देते। आज तक लाश नहीं मिली। मेरी 4 साल की बेटी भी पेट के इन्फेक्शन से मर गई।’दिल्ली के गाजीपुर में दूर से ही जो कचरे का पहाड़ नजर आता है, उसी के पास बस्ती में रुखसाना रहती हैं। ये रुखसाना की कहानी है। जब वो ये सुना रही होती हैं तो उनकी सास रुकैया बस हमें देखती रहती हैं।...
दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी है। दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज ‘हम भी दिल्ली’ के तीसरे एपिसोड में हम तीनों लैंडफिल साइट्स से प्रभावित दो तरह से किरदारों से मिले। इनके जरिए समझिए लैंडफिल साइट्स वाली कोंडली, बादली और ओखला विधानसभा सीट पर क्या चुनावी माहौल है। यहां रहने वाले लोगों के बीच ये कितना बड़ा चुनावी मुद्दा है। पॉलिटिकल पार्टीज से उनकी क्या उम्मीदें हैं।मोनू, अजमीरा और उनके जैसे लोगों की परेशानियां और उनके लिए चुनाव के मायने समझने हम उनकी बस्ती में पहुंचे। यहां एक...
रुखसाना का दिन सुबह 6 बजे से शुरू हो जाता है। वे बताती हैं, ‘यहां पीने का पानी नहीं है। थोड़ी दूर से लाना पड़ता है। बाकी कामों के लिए पड़ोसी से पानी मांग लेते हैं। उनके घर में बोरिंग है। इसके लिए हर महीने 1200 रुपए देते हैं।’ ’20 दिन पहले की बात है। मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। फिर एक रात सीने में भी दर्द होने लगा। एक्स-रे कराया, तो फेफड़ों में इंफेक्शन का पता चला। डॉक्टर ने कुछ दिन आराम करने को कहा। अब अगर आराम करेंगे तो बच्चों का पेट कौन भरेगा। अब मैं दवा खाकर काम पर जाती हूं।'
चुनावी माहौल पूछते ही रीता कहती हैं, ‘अरविंद केजरीवाल को इतने साल में हमारी याद नहीं आई। अब चुनाव के वक्त सड़क बनवाने का वादा करके गए हैं। फिर भी BJP से AAP बेहतर है। बिजली फ्री है। महिलाओं को 2100 रुपए देने के लिए फॉर्म भरवा लिया है। झुग्गी भी नहीं हटाएंगे। BJP आई तो हमें डर है कि हमारी झुग्गी हटा दी जाएगी।’भलस्वा, ओखला और गाजीपुर की लैंडफिल साइट का कैपेसिटी से ज्यादा इस्तेमाल कर लिया गया है। दिल्ली में म्यूनिसिपल एरिया से रोजाना 11 हजार टन कचरा निकलता है। दिल्ली सरकार ने बीते दिसंबर में...
भलस्वा लैंडफिल साइट के पास ही स्वामी श्रद्धानंद कॉलोनी है। यहां रहने वाले जेपी मिश्रा के लिए चुनाव में कचरा मुद्दा तो नहीं है, लेकिन वो चाहते हैं कि इसे हटाया जाए। वे कहते हैं, ‘मैं पिछले 20 साल से ये कचरा देख रहा हूं। हम यहां रहने आए थे तब कचरा था, लेकिन समतल जमीन हुआ करती थी। फिर ये बढ़ता ही गया और पहाड़ खड़ा हो गया।‘
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