Sindoor khela In Azamgarh: पूजा सिंह ने बताया कि सिंदूर खेला के साथ ही मां को मीठा खिलाकर विदा करते हैं. सिंदूर लगाकर परिवार के साथ ही पति के दीर्घायु उम्र की कामना करते हैं. दुर्गा विसर्जन के दिन आरती के साथ सिंदूर खेला की प्रक्रिया आरंभ होती है. मां दुर्गा की प्रतिमा के समक्ष एक शीशा रखा जाता है.
आजमगढ़. दुर्गापुजा में प्रतिमा विसर्जन के दौरान महिलाएं एक खास परंपरा निभाती है. इसको सिंदुर खेला के नाम से नाम से जाना जाता है. इस सिंदुर खेला की शुरूआत बंगाल से हुई है. बंगाल की यह परंपरा धीरे-धीरे देशभर में फैल गया. दशहरे की समाप्ति के उपरांत आजमगढ़ में महिलाओं ने सिंदुर खेला का आयोजन किया. शहर के शिव श्याम जी मंदिर में जय मां अम्बे सेवा समिति की ओर से पूजा सिंह की अगुवाई में सिंदुर खेला का आयोजन किया गया. इस दौरान सिंदूर खेला में देखते हीं देखते महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी.
दुर्गा सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष सह कार्यक्रम के आयोजक पूजा सिंह ने लोकल 18 को बताया कि सिंदूर खेला के साथ ही मां को मीठा खिलाकर विदा करते हैं और सिंदूर लगाकर परिवार के साथ ही पति के दीर्घायु होने की कामना करते हैं. दुर्गा विसर्जन के दिन आरती के साथ सिंदूर खेला की प्रक्रिया आरंभ होती है. इसके पश्चात लोग मां दुर्गा को भोग अर्पित करते हैं और प्रसाद का वितरण करते हैं. मां दुर्गा की प्रतिमा के समक्ष एक शीशा रखा जाता है, जिसमें माता के चरणों के दर्शन होते हैं.
Durga Puja 2024 Sindoor Khela Sindoor Khela Importance Sindoor Khela Ritual Sindoor Khela Took Place In Azamgarh आजमगढ़ न्यूज दूर्गा पूजा 2024 सिंदूर खेला सिंदूर खेला महत्व सिंदूर खेला का रश्म आजमगढ़ में हुआ सिंदर खेला
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।
Bihar: बंगाल का सिंदूर खेला और कंधे पर माता की विदाई, नालंदा में दिखा परंपरा और आस्था का अद्भुत संगमSindoor Khela Durga Puja: सिंदूर खेला माता की विदाई के दिन खेला जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल होती हैं और एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं। बिहार के नालंदा जिले में इस बार महिलाओं ने सिंदूर खेला की परंपरा को आत्मसात किया। महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाया और माता की विदाई की। जिले में आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम...
और पढो »
Sindoor Khela 2024: कैसे हुई सिंदूर खेला की शुरुआत, जानें क्यों मनाया जाता है यह पर्वशारदीय नवरात्र के 9 दिन मां दुर्गा के 9 स्वरूपों को समर्पित है। धार्मिक मत है कि शारदीय नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की पूजा और व्रत करने से घर में खुशियों का आगमन होता है। इस उत्सव की शुरुआत 03 अक्टूबर से हुई है। वहीं इसका समापन 11 अक्टूबर को होगा। मां दुर्गा की विदाई के दिन सिंदूर खेला Sindoor Khela 2024 का पर्व मनाया जाता...
और पढो »
Sindoor khela 2024: मां दुर्गा की विदाई पर खेली जाती है सिंदूर की होली, जानें कैसे हुई इस रस्म की शुरुआतदशमी तिथि के साथ नवरात्र का पावन पर्व समाप्त होने वाला है। हर साल नवरात्र के अगले दिन Dussehra मनाया जाता है। बंगाली समुदाय इस पर्व को विजयादशमी के तौर पर मनाते हैं और इसी दिन सिंदूर खेला Sindoor khela 2024 History की रस्म भी अदा की जाती है। यह इस समुदाय की एक अहम परंपरा है। आइए जानते हैं इसके बारे में...
और पढो »
56 साल बाद सहारनपुर के शहीद मलखान सिंह को अंतिम विदाईउत्तर प्रदेश के सहारनपुर के गांव फतेहपुर में 1968 में सियाचिन ग्लेशियर में दुर्घटनाग्रस्त हुए भारतीय वायुसेना के जवान शहीद मलखान सिंह को सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।
और पढो »
Sindoor Khela 2024: क्या होता है सिंदूर खेला? बनारस समेत यूपी के शहरों में आज दुर्गा पूजा पर होगा आयोजनSindoor Khela 2024: दशमी तिथि के साथ नवरात्र पर्व का समापन होने वाला है. इसे दशहरा या विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन बंगाली समुदाय के लोग सिंदूर खेला की रस्म अदा करते हैं. अब ये परंपरा बंगाल से निकलकर यूपी के कई शहरों में शुरू हो गई है. पढ़िए इसके बारे में सबकुछ.
और पढो »
Navratri Vrat Katha: श्री दुर्गा नवरात्रि व्रत कथा, 9 दिन जरुर करें इस कथा का पाठ सभी 9 देवियों की मिलेगी कृपाNavratri Vrat Katha, Durga Vrat Katha: नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरुपों की पूजा की जाती है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के दिन सबसे अच्छे माने जाते हैं। दरअसल, इन दिनों जो भक्त सच्चे मन से मां दुर्गा के सभी स्वरुपों की पूजा करता है उसकी सारी इच्छाएं मां दुर्गा पूरी करती हैं। 9 दिनों तक माता रानी की पूजा अर्चना के साथ...
और पढो »