Stambheshwar Temple Mystery: दिन में 2 वक्त जहां शिव के पांव पखारता है सागर! सूर्य देते किरणों की आहुति, क्या आपने देखा है ये अनोखा मंदिर

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Stambheshwar Temple Mystery: दिन में 2 वक्त जहां शिव के पांव पखारता है सागर! सूर्य देते किरणों की आहुति, क्या आपने देखा है ये अनोखा मंदिर
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Stambheshwar Temple Mystery Gujarat: आपने मंदिर तो बहुत देखे होंगे लेकिन क्या आप एक ऐसे मंदिर के बारे में जानते हैं, जहां विराजमान भगवान के चरण स्वयं सागर पखारते हैं.

Stambheshwar Temple Mystery : दिन में 2 वक्त जहां शिव के पांव पखारता है सागर! सूर्य देते किरणों की आहुति, क्या आपने देखा है ये अनोखा मंदिर

यानी इस तरह से एक दिन में जहां शिव हर दिन 12 घंटे की जलसमाधि लेते हैं. जब तक प्रकट नहीं होते शिव, तब तक श्रद्धालु हाथ जोड़े खड़े रहते हैं. भगवान शिव की ये समुद्रलीला देखने के लिए हजारों श्रद्धालु हर हर दिन गुजरात के कवि कंबोई गांव में आते हैं. ये गांव भरूच जिले में पड़ता है.जिला मुख्यालय से करीब 85 किलोमीटर दूर है जंबूसर का ये समुद्रतट जहां बना है भगवान शिव का अनूठा मंदिर- स्तंभेश्वर महादेव.

आपको ये पूरा विवरण स्तंभेश्वर मंदिर के अहाते में मिल जाएगा. यहां लगी पुरणों की पट्टिकाएं और मंदिर का इतिहास इसे महाभारत काल से भी पहले के दौर का बताती हैं. ये सब देखने के बाद जेहन में सवाल सहज ही आता है कि वडोदरा के समुद्री तट पर ये शिवलिंग स्थापित किसने किया.तो इसकी एक कहानी महाभारत काल की सामने आती है. ये पांडवों के अज्ञातवास का दौर था. जिस इलाके में अपना भेष बदलकर जाते पांडव, वहां शिव की अराधना करना नहीं भूलते.

इस क्षेत्र के बारे में एक मान्यता ये है कि यहां सिंधु घाटी सभ्यता से भी प्राचीन सभ्यता के अवशेष है. हालांकि इसकी डेटिंग को लेकर पुरातत्व विशेषज्ञों में एक राय नहीं है, लेकिन स्तंभेश्वर मंदिर की पौराणिकता को लेकर कोई दो राय नहीं है.एक तरफ द्वापर युग की जलमग्न द्वारकानगरी, दूसरी तरफ भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग और बीच स्तंभेश्वर महादेव का रहस्यमयी शिवलिंग. वडोदरा के जिस तटीय क्षेत्र में है स्तंभेश्वर मंदिर, वो लोकेशन ही इसे दिव्य, और दैवीय रहस्य से भरता है.

हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

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