Toll: हाईवे टोल पर जल्द ही सैटेलाइट टेक्नोलॉजी का होगा इस्तेमाल, जानें यह कैसे करेगा काम और पूरी डिटेल्स

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Toll: हाईवे टोल पर जल्द ही सैटेलाइट टेक्नोलॉजी का होगा इस्तेमाल, जानें यह कैसे करेगा काम और पूरी डिटेल्स
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Toll Tax: हाईवे टोल पर जल्द ही सैटेलाइट आधारित टेक्नोलॉजी का किया जाएगा इस्तेमाल, जाने यह कैसे करेगा काम और अन्य डिटेल्स

बयान में कहा गया है कि एडवांस्ड सैटेलाइट टेक्नोलॉजी का लाभ उठाने के लिए, EoI का उद्देश्य अनुभवी और सक्षम कंपनियों की पहचान करना है। जो मजबूत, स्केलेबल और कुशल टोल चार्जर सॉफ्टवेयर प्रदान कर सकें। जो भारत में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह के कार्यान्वयन के लिए रीढ़ की हड्डी के रूप में काम करेगा। बयान में कहा गया है कि भारत में जीएनएसएस-आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह से नेशनल हाईवे पर वाहनों के सुचारू आवागमन में सुविधा होगी और हाईवे यूजर्स को कई लाभ प्रदान करने की...

Tag के साथ भी ट्रैफिक जाम लग जाते थे। जीपीएस-आधारित टोल संग्रह प्रणाली कारों में सैटेलाइट और ट्रैकिंग सिस्टम का इस्तेमाल करके तय की गई दूरी को मापने और उसके अनुसार टोल वसूलती है। जीपीएस-आधारित टोल कलेक्शन क्या है जीपीएस-आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम कारों में सैटेलाइट और ट्रैकिंग सिस्टम का इस्तेमाल करके तय की गई दूरी को मापने के लिए करती है। और तय की गई दूरी के आधार पर टोल वसूलती है। इससे टोल प्लाजा की जरूरत खत्म हो जाती है और यात्रियों का समय बचता है।...

Tag के उलट, सैटेलाइट-आधारित जीपीएस टोल संग्रह प्रणाली, ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम पर काम करती है, जो सटीक स्थान ट्रैकिंग क्षमता प्रदान करती है। यह प्रणाली दूरी के आधार पर सटीक टोल गणना के लिए ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम और भारत के GPS एडेड जियो ऑगमेंटेड नेविगेशन जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करती है। ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम कैसे काम करता है? ऑन-बोर्ड यूनिट या ट्रैकिंग डिवाइस वाले वाहनों से हाईवे पर तय की गई दूरी के आधार पर शुल्क लिया जाएगा। डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग नेशनल हाईवे के साथ...

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