UP Election: क्या है जाटलैंड की सियासत और चौधरी चरण सिंह की विरासत का तिलिस्म?

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क्या है जाटलैंड की सियासत UttarPradesh India News

चौधरी चरण सिंह ने यूपी में जाट समुदाय को बनाया था पॉलिटिकल पावरपश्चिमी यूपी में एक मशहूर कहावत है- जिसके जाट, उसी के ठाठ...आज जब यूपी में सत्ता का सबसे बड़ा संग्राम छिड़ा हुआ है तो ऐसे में सभी दलों की जोर आजमाइश भी चरम पर है. यूपी चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है पश्चिमी यूपी यानी जाटलैंड की सियासत को लेकर जहां पहले ही चरण में वोटिंग होनी है.

जाटों और किसानों के दबदबे वाली ये जमीन किस हद तक सियासी रूप से ऊर्वर है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसी वोटबैंक की बदौलत जाटों के सबसे बड़े नेता चौधरी चरण सिंह दो बार यूपी के सीएम, केंद्र में मंत्री, उपप्रधानमंत्री और फिर प्रधानमंत्री के पद तक पहुंच गए थे. चौधरी चरण सिंह अक्सर कहा करते थे- 'यूपी पर जिसका नियंत्रण है, समूचे भारत पर उसी का नियंत्रण होगा'.

जर्नादन ठाकुर अपनी किताब में लिखते हैं- चरण सिंह के अंदर कहीं बहुत गहरे में एक कसक है और एक गांठ पड़ी है कि वह तथाकथित अभिजात वर्ग में नहीं पैदा हुए. यह बात बार-बार जाहिर हो जाती है. दिसंबर 1977 में जब चरण सिंह देश के गृह मंत्री थे तब यूपी के मिरहची में एक सभा में उन्होंने कहा कि मैं एक जाट हूं, एक जाट परिवार में पैदा हुआ हूं. अगर मैं मुसलमान बनना चाहूं तो फौरन बन सकता हूं लेकिन मैं ब्राह्मण नहीं बन सकता, मैं राजपूत नहीं बन सकता. यहां तक कि मैं वैश्य भी नहीं बन सकता.

अमेरिकी राजनीतिक विश्लेषक और लेखक पॉल आर ब्रास अपनी किताब में चौधरी चरण सिंह की सियासत पर लिखते हैं- 'चौधरी चरण सिंह भारत के उन चंद नेताओं में से थे जिनकी सियासत आजादी के पहले के दौर से शुरू होकर 1980 के दशक तक जारी रही. चौधरी चरण सिंह की सियासत की एक और खास बात थी कि उनके पास रूट लेवल की पॉलिटिक्स से लेकर पीएमओ तक का अनुभव था. शहरी और औद्योगिक नीतियों पर फोकस राजनीति से अलग चौधरी चरण सिंह गांव, खेत, खलिहान और किसानों की सियासत करते थे और यही उन्हें बाकी राजनीतिज्ञों से अलग बनाता था.

पहले ये वोटबैंक चौधरी चरण सिंह की भारतीय लोकदल का आधार बनी और फिर बाद में बेटे अजीत सिंह की आरएलडी की सियासत का बेस भी यही समीकरण रहा. पश्चिमी यूपी की सियासत में चौधरी चरण सिंह के बाद करीब 3 दशकों तक उनके बेटे अजीत सिंह ने विरासत संभाली और राज्य से लेकर केंद्र की सत्ता तक में हिस्सेदारी पाई और अब उनके पोते जयंत चौधरी दावा पेश करने की कोशिश कर रहे हैं.

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