उत्तराखंड भारत का पहला राज्य बना जहां समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होगी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे समानता और नागरिक अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण बताया.
उत्तराखंड भारत का पहला राज्य बन गया है, जहां समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की इस घोषणा के पीछे उनका कहना है कि UCC से राज्य में समानता आएगी और सभी नागरिकों को समान अधिकार और जिम्मेदारियां मिलेंगी, चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय से हों. समान नागरिक संहिता को लेकर काफी बातें हुई हैं, लेकिन इसके लागू होने के बाद आखिर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, शादीशुदा जोड़ों या लिव-इन रिश्तों में रहने वाले लोगों को ये कैसे प्रभावित करेगा, आइए इसे समझते हैं.
पोलिगैमी और बाल विवाह पर प्रतिबंध: यह नया कानून पोलिगैमी और बाल विवाह पर सख्त प्रतिबंध लगाएगा. यह कदम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने और बच्चों के भले के लिए है. 3. विवाह की कानूनी उम्र: अभी तक देश में लड़की के लिए विवाह की उम्र 18 और लड़के के लिए 21 साल है. लेकिन UCC के तहत विवाह की कानूनी उम्र 21 साल तय की गई है, जो दोनों लिंगों के लिए समान है. इसका उद्देश्य यह है कि लोग शादी करने से पहले अच्छी तरह से शिक्षित और मानसिक रूप से तैयार हों. 4.
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