यह लेख पहाड़ों पर ट्रैकिंग के दौरान सांस लेने में होने वाली परेशानी के कारणों और इसके बचाव के उपायों पर प्रकाश डालता है।
पहाड़ों पर ट्रैकिंग का अनुभव अद्भुत होता है, लेकिन अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है। सही तैयारी और सावधानियों के साथ आप अपने ट्रैकिंग के अनुभव को यादगार बना सकते हैं। जब हम ऊंचाई पर जाते हैं, तो हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। समुद्र तल से 2,500 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई पर वायुमंडलीय दबाव कम हो जाता है, जिससे शरीर को ऑक्सीजन की सामान्य मात्रा नहीं मिल पाती। इसे 'हाई-एल्टीट्यूड सिकनेस ' कहा जाता है। इसके लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ, थकान, चक्कर आना, सिरदर्द और मतली
शामिल हैं। अधिक ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी के कारण फेफड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती, जिससे सांस फूलने लगती है। शरीर को नई ऊंचाई पर वातावरण के अनुकूल होने में समय लगता है। अचानक ऊंचाई पर जाने से शरीर का सही ढंग से अनुकूलन नहीं होता। जिन लोगों की शारीरिक फिटनेस कमजोर होती है, उन्हें इस समस्या का सामना अधिक करना पड़ता है। ट्रैकिंग के दौरान ऊंचाई पर चढ़ने की गति धीमी रखें ताकि शरीर को वातावरण के अनुसार ढलने का समय मिल सके। ट्रैकिंग शुरू करने से पहले कुछ दिन उस इलाके में बिताएं ताकि शरीर ऊंचाई के वातावरण में ढल सके। अगर सांस फूलने लगे या अन्य लक्षण महसूस हों, तो तुरंत रुक जाएं और गहरी सांस लें। ऑक्सीजन की कमी से बचने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर साथ रखें
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