इस लेख में भारतीय रियल एस्टेट बाजार के पिछले 30 वर्षों में हुए चार प्रमुख बदलावों का विश्लेषण किया गया है। प्रत्येक चक्र की विशेषताओं, आर्थिक कारकों और भविष्य के निवेश के लिए संभावनाओं पर प्रकाश डाला गया है।
भारत ीय रियल एस्टेट बाजार पिछले 30 वर्षों में चार बड़े बदलावों का अनुभव कर चुका है, और ये बदलाव एक परिचित चक्र का पालन करते हैं। प्रत्येक चक्र की शुरुआत आर्थिक सुधार ों और नीतिगत परिवर्तनों से होती है। विदेशी निवेश और बुनियादी ढांचे में सुधार रियल एस्टेट को बढ़ावा देते हैं। प्रत्येक चक्र में संपत्ति की कीमतें अपने चरम पर पहुंच जाती हैं, और फिर मंदी आ जाती है। आर्थिक सुधार और नीतिगत बदलाव रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे विदेशी निवेश और बुनियादी ढांचे में सुधार को
प्रोत्साहित करते हैं, जो दीर्घकालिक वृद्धि को बढ़ावा देते हैं। संपत्ति की कीमतों में अत्यधिक वृद्धि से बचने के लिए पारदर्शिता और विनियमन आवश्यक हैं। इन चक्रों को समझना भविष्य में निवेश के लिए एक मूल्यवान उपकरण बन जाता है। 1994 से 1999 तक पहला चक्र 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद भारत में रियल एस्टेट क्षेत्र में तेजी लाया। एनआरआई और पीआईओ को निवेश की अनुमति मिलने से बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश हुआ। पीआईओ कार्ड धारकों को भारत आने के लिए अलग से वीजा की आवश्यकता नहीं होती थी, जिससे निवेशकों को प्रोत्साहन मिला। 1995 में संपत्ति की कीमतें अपने चरम पर पहुंच गईं, लेकिन 1997-98 के एशियाई वित्तीय संकट ने विदेशी पूंजी को खत्म कर दिया, जिससे मंदी आई।2004 से 2008 तक दूसरा चक्र नई टेलीकॉम नीति, 1999 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 ने निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाया। विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) अधिनियम और जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (JNNURM) ने बुनियादी ढांचे में बड़े निवेश को प्रोत्साहित किया। 2005 में, रियल एस्टेट परियोजनाओं में एफडीआई को पूरी तरह से खोल दिया गया। लेहमन ब्रदर्स के पतन ने वैश्विक आर्थिक मंदी को जन्म दिया, जिससे निवेशकों के लिए अपने निवेश से बाहर निकलना मुश्किल हो गया। 2010 से 2013 तक तीसरा चक्र भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत वृद्धि और तेजी से शहरीकरण ने रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा दिया। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं ने कनेक्टिविटी में सुधार किया। सरकारी नीतियों ने रियल एस्टेट में निवेश को प्रोत्साहित किया, लेकिन संपत्ति की कीमतें उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं और सख्त मौद्रिक नियमों और आर्थिक तनाव ने मांग को कम कर दिया। 2021 से चौथा चक्र जारी है। लॉकडाउन के दौरान स्थगित मांग, कम ब्याज दरें और सरकारी प्रोत्साहन ने रियल एस्टेट क्षेत्र को एक बार फिर बढ़ावा दिया। वर्क-फ्रॉम-होम ट्रेंड ने बड़े घरों की मांग बढ़ाई। एनआरआई निवेश और जीवनशैली में बदलाव ने भी इस चक्र को प्रभावित किया। राजमार्ग और एक्सप्रेसवे नेटवर्क का विस्तार और नए हवाई अड्डों का निर्माण भी महत्वपूर्ण कारण रहे। लेकिन, आने वाले समय में इसमें एक बार फिर मंदी की पूरी आशंका है।
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