राधा और कृष्ण, शिव और शक्ति, दिन और रात, सुख और दुख, पुरूष और प्रकृति, इन दोनों का मिलन जीवन को पूर्णता प्रदान करता है, फेंगशुई में इस शक्ति यानि उर्जा को यिन और यांग के रूप में बताया गया है। जन्माष्टमी के दिन चन्द्रमा का प्रकाशमान भाग राधा और अंधकारमय भाग कृष्ण रहता है, आइए जानें...
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि अनेक प्राकृतिक रहस्यों को उजागर करती है। प्रत्येक वर्ष भाद्रपद कृष्ण अष्टमी की अर्द्धरात्रि में कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है, भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को चन्द्रमा आधा राधामय एवं आधा कृष्णमय हो जाता है। खगोलशास्त्र के अनुसार पूर्णिमा और अमावस्या के बीच की दूरी अष्टमी तिथि से जानी जाती है, प्रत्येक पक्ष में अष्टमी मध्य भाग को दर्शाती है। पूर्णिमा को शुक्ल भाग दिखाई देता है लेकिन पृष्ठ भाग अदृश्य कृष्ण है, अमावस्या को दृश्य भाग...
काला है अर्थात् कृष्ण है। जैसे सुख-दुःख मिलाकर जीवन का निर्माण होता है, उसी प्रकार राधा-कृष्ण की संयुक्त शक्ति पूर्णता प्रदान करती है, वास्तव में ये दोनों मिलाकर ही पूर्ण हुए हैं। चीनी वास्तु शास्त्र फेंगशुई में इसी शक्ति को यिन और यांग के रूप में बताया गया है। नेत्रों के वृत्तों का संचालन जिस चन्द्रमा द्वारा किया जा रहा है वही सूर्य वृत्त की सीमा में राधा है और बाहर निकलते ही कृष्ण है। कृष्ण का पूर्ण स्वरूप राधा के बिना अधूरा है, राधा ही कृष्ण की सिद्धि हैं, इसलिए खगोलीय दृष्टि से चन्द्रमा का...
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