कृषि वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश ने बताया कि सूखे के कारण धान की रोपाई ना हो पाने या फिर रोपाई के बाद सूख गया है तो किसान खेतों में तोरिया की बुवाई कर सकते हैं. सरसों की यह फसल सितंबर माह के अंत में या अक्टूबर के शुरुआती दिनों में खेतों में बोई जा सकती है. एक हेक्टेयर में 4 से 5 किलो बीज की जरूरत पड़ती है हैं. वहीं उपज 12 से 15 क्विंटल तक की होती है.
आजमगढ़. कम बारिश के चलते आजमगढ़ और आस-पास के क्षेत्र में धान की फसल काफी ज्यादा प्रभावित हुई है. जरूरत के हिसाब से बारिश ना होने के चलते खेतों में लगी फसल से उपज की उम्मीद बेहद कम है. धान की खेती कर रहे किसानोंं को खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है. ऐसे में नुकसान की पूर्ति के लिए किसानों को ऐसे फसल की जरूरत है, जो बचे हुए समय में तैयार होकर इस नुकसान की भरपाई कर सके. किसान नुकसान की भरपाई के लिए तोरिया की खेती कर सकते हैं. यह 90 दिनों में ही तैयार हो जाती है.
वहीं अन्य जगहों पर या तो फसलें सूख कर खराब हो गई या तो फिर खेत पूरी तरह से खाली पड़े रह गए. सितंबर के अंतिम सप्ताह से कर सकते हैं बुवाई कृषि वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश ने लोकल 18 को बताया कि सूखे के कारण धान की रोपाई ना हो पाना या फिर फसल रोपाई के बाद सूख गया है तो किसान खेतों में तोरिया की बुवाई कर सकते हैं. सरसों की यह फसल सितंबर माह के अंत में या अक्टूबर के शुरुआती दिनों में खेतों में बोई जा सकती है. तोरिया खरीफ और रबी के बीच बोए जाने वाली फसल है.
When To Cultivate Rapeseed Method Of Cultivation Of Rapeseed How Much Seed Is Required In One Hectare Ideal Time For Cultivation Of Rapeseed कैसे करें तोरिया की खेती कब करें तोरिया की खेती तोरिया की खेती करने का तरीका एक हेक्टेयर में कितना लगता है बीज तोरिया की खेती का आदर्श समय
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