काम के घंटों पर विश्व की नज़र

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काम के घंटों पर विश्व की नज़र
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इस लेख में दुनिया भर में काम के घंटों के बारे में जानकारी दी गई है।

एवरऑवर डॉट कॉम के मुताबिक, प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 1914 में लोग एक सप्ताह में औसतन 55 घंटे काम करते थे। कुछ श्रमिकों ने सैन्य उपकरणों की मांग को पूरा करने के लिए सप्ताह भर 72 घंटे या उससे अधिक काम किया। काम के अधिक घंटों के कारण उनकी उत्पादकता में गिरावट आई। आंकड़ों से पता चलता है कि एक व्यक्ति अगर सप्ताह में 40 घंटे काम करता है, तो उसकी उत्पादकता उच्चतम स्तर पर होती है। इससे अधिक घंटे काम करने पर उत्पादकता घटती जाती है। इसका असर देश की जीडीपी पर भी पड़ता है।\हेनरी फोर्ड ने 40 घंटे काम के

चलन की शुरुआत उत्पादकता बढ़ाने के लिए की थी। फोर्ड मोटर के संस्थापक हेनरी फोर्ड ने काम के घंटों में कटौती करते हुए एक दिन में आठ घंटे (सुबह 9 से शाम 5 बजे तक) और सप्ताह में 40 घंटे काम कराने के चलन की शुरुआत की। हालांकि, महामंदी के दौरान कुछ कंपनियों ने अपने कर्मचारियों से सप्ताह में 46-50 घंटे काम कराना जारी रखा, जिससे उनकी उत्पादकता प्रभावित होने लगी। इसके बाद कंपनियों ने काम के घंटों में कमी की और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सप्ताह में औसतन 40 घंटे काम करने का चलन लगभग स्थापित हो गया। इसके बाद से दुनियाभर में यह चलन शुरू हो गया और आज कई देशों में कंपनियां कर्मचारियों से सप्ताह में चार दिन काम करा रही हैं।\डेनमार्क और मेक्सिको में मेहनताने में 55 डॉलर का अंतर है। डेनमार्क में लोग एक साल में औसतन 1,380 घंटे काम करते हैं, जबकि मेक्सिको में यह 2,137 घंटे है। इसके बावजूद डेनमार्क के लोगों को प्रति घंटे काम के लिए 75 डॉलर मिलते हैं, जो मेक्सिको के 20 डॉलर से 50 डॉलर अधिक है। अमेरिका में एक घंटे काम करने के लिए कंपनियां औसतन 72 डॉलर का भुगतान करती हैं।\10 देशों में सबसे कम काम के घंटे: वनुआतू (24.7 घंटे), किरीबाती (27.3 घंटे), माइक्रोनेशिया (30.4 घंटे), रवांडा (30.4 घंटे), सोमालिया (31.4 घंटे), नीदरलैंड (31.6 घंटे), इराक (31.7 घंटे), इथियोपिया (31.9 घंटे), कनाडा (32.1 घंटे) और ऑस्ट्रेलिया (32.3 घंटे)।\10 देशों में काम के सबसे ज्यादा घंटे: भूटान (54.4 घंटे), यूएई (50.9 घंटे), लेसोथो (50.4 घंटे), कांगो (48.6 घंटे), कतर (48.0 घंटे), लाइबेरिया (47.7 घंटे), लेबनान (47.6 घंटे), मंगोलिया (47.3 घंटे), जॉर्डन (47 घंटे) और बांग्लादेश (46.9 घंटे)। (स्रोत: अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन)\भारत में स्थिति भारत में फैक्टरीज एक्ट-1948 के मुताबिक, कंपनियां सरकार की ओर से निर्धारित न्यूनतम मजदूरी के भुगतान के साथ सप्ताह में 48 घंटे काम करा सकती हैं। इसमें प्रतिदिन अधिकतम एक घंटे के ब्रेक के साथ 9 घंटे का समय हो सकता है। ओवरटाइम की स्थिति में नियमित मेहनताने से दोगुना पैसे देने होते हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कर्मचारी हर सप्ताह औसतन 46.7 घंटे काम करते हैं, जबकि 51 फीसदी हर हफ्ते 49 या उससे ज्यादा घंटे काम करते हैं

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