प्रेमचंद भारत को जानने की खिड़की हैं, उनका साहित्य भारतीय आत्मा की खोज: डॉ. शंभुनाथ

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प्रेमचंद भारत को जानने की खिड़की हैं, उनका साहित्य भारतीय आत्मा की खोज: डॉ. शंभुनाथ
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हिंदी साहित्य की दुनिया में मुंशी प्रेमचंद के नाम से मशहूर धनपत राय श्रीवास्तव का जन्म 31 जुलाई 1880 को हुआ था. वे हिंदी-उर्दू के सबसे अधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार और विचारक थे.

Premchand Birth Anniversary : भारतीय भाषा परिषद और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की ओर से ‘ प्रेमचंद जयंती ’ के अवसर ‘प्रेमचंद और आज का विश्व’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भारतीय भाषा परिषद के निदेशक डॉ. शम्भुनाथ ने कहा कि प्रेमचंद भारत को जानने की खिड़की हैं. उनका कथा साहित्य भारतीय आत्मा की खोज है जो संकुचित राष्ट्रवाद के वर्तमान युग में भी मानवतावादी प्रेरणा देता है. रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के प्रो.

राजश्री शुक्ला ने कहा कि प्रेमचंद का व्यक्तित्व उदार था, जिसमें विपरीत विचारधारा वाले साहित्यकारों के महत्व का स्वीकार भी था. उनका लेखन आज भी इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि इनके शब्दों के पीछे आंतरिक ईमानदारी थी. डॉ. रामप्रवेश रजक ने कहा कि प्रेमचंद जब लिख रहे थे तब देश को आजादी नहीं मिली थी. उनके लिखने का उद्देश्य स्वराज प्राप्ति था. युवा आलोचक डॉ. इतु सिंह ने कहा कि प्रेमचंद के संपादकीय लेखों में भारत के उस दौर के राजनीतिक इतिहास का ही नहीं विश्व के राजनीतिक परिदृश्य का विश्वसनीय ब्यौरा मिलता है.

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