पौष माह में पड़ने वाली सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर को सुबह 4 बजकर 1 मिनट पर शुरू होगी। इस दिन पितरों का पिंडदान करने से उन्हें मुक्ति मिलती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में अमावस्या का दिन बहुत ही अहम माना गया है। यह तिथि पूर्वजों से जुड़े पूजा-अनुष्ठान के लिए बहुत ही उत्तम मानी जाती है। इस बार यह सोमवार को पड़ रही है, जिस वजह से इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है, क्योंकि यह दिन भगवान शिव को समर्पित है। साल 2024 की आखिरी सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर, 2024 को पड़ रही है। वहीं, पौष माह में पड़ने के कारण इसे पौष अमावस्या (Paush Amavasya 2024 ) के नाम से भी जाना जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पितरों का पिंडदान और तर्पण
करने से उन्हें मुक्ति मिल जाती है, तो आइए यहां जानते हैं कि पितरों का पिंडदान कैसे करना चाहिए। पिंडदान नियम (Somvati Amavasya Pinddaan Niyam) सबसे पहले सुबह उठकर गंगा स्नान करें। पिंडदान हमेशा सूर्योदय के समय ही करना अच्छा माना जाता है। एक पवित्र जगह पर अपने पूर्वज की तस्वीर रखें, जिनका पिंडदान करना हो। फिर गाय के गोबर, आटा, तिल और जौ आदि से पिंड बनाएं। इसके बाद उसे अपने पितरों को चढ़ाएं। उस पिंड को किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें। पिंडदान के समय पितरों का ध्यान और उनके मंत्रों का जाप करें। इसके साथ ही ब्राह्मणों के नाम से कुछ दान अवश्य करें। ध्यान रहे पिंडदान हमेशा किसी जानकार पुरोहित के उपस्थिति में ही करना चाहिए। पितृ पूजा मंत्र (Somvati Amavasya Puja Mantra) ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।। ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।। सोमवती अमावस्या शुभ मुहूर्त (Somvati Amavasya Shubh Muhurat) वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह की अमावस्या तिथि 30 दिसंबर को सुबह 04 बजकर 01 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, सोमवती अमावस्या की समाप्ति 31 दिसंबर को देर रात 03 बजकर 56 मिनट पर होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि का महत्व है। इसलिए पंचांग को देखते हुए 30 दिसंबर को ही (Somvati Amavasya 2024) सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी
SOMVATI AMAVASYA PINDDAAN PITR PUJA SHIV JI DHARM 2024
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