दुधवा नेशनल पार्क ने हाल ही में 69 साल बाद एक दुर्लभ सीबोल्ड वाटर स्नेक के दिखने से इतिहास रच दिया है. ये प्रजाति भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाती है और वन्यजीव प्रेमियों के लिए ये एक खास आकर्षण बन गई है. इस दुर्लभ सांप की उपस्थिति दुधवा के जैविक समृद्धि का प्रमाण है.
दुधवा नेशनल पार्क में दुर्लभ प्रजाति का सीबोल्ड वाटर स्नेक 69 साल बाद देखा गया है. इससे पहले ये सांप 1957 में यहां नजर आया था. इस सांप को देखना वन्यजीव प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. ये सांप भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाने वाला एक विशेष प्रजाति का सांप है. सीबोल्ड वाटर स्नेक को पहली बार 1837 में जर्मन हर्पेटोलॉजिस्ट हर्मन श्लेगल ने खोजा था. इसका नाम जर्मन वनस्पति वैज्ञानिक फिलिप फ्रांज बाल्थासार वॉन सीबोल्ड के नाम पर रखा गया.
इस सांप को संरक्षित करने के लिए जंगल के प्राकृतिक आवास को और अधिक सुरक्षित बनाने पर काम किया जाएगा. संरक्षण से इस प्रजाति के विलुप्त होने के खतरे को कम किया जा सकेगा. एक्सपर्ट्स का मानना है कि सीबोल्ड वाटर स्नेक का दुधवा में दिखना संकेत है कि यहां का पर्यावरण सरीसृपों के लिए बेहतर हो रहा है. यह क्षेत्र धीरे-धीरे दुर्लभ प्रजातियों के सरीसृपों का घर बनता जा रहा है. इनकी बढ़ती संख्या से यह जाहिर होता है कि वन्यजीव और सरीसृप यहां के वातावरण को अपने अनुकूल पा रहे हैं.
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