साल 1567, प्रयाग से करीब 55 किलोमीटर दूर कड़ा के सरदार अलीकुली खां ने बगावत कर दी। विद्रोह कुचलने के लिए अकबर सेना के साथ कड़ा पहुंच गए। दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अलीकुली मारा गया। जीत के बाद अकबर प्रयाग पहुंचे और दोUttar Pradesh (UP) Prayagraj Kumbh Mela Interesting Facts: Follow Allahabad Akbar Fort Akshayvat Tree, Historical Information and...
जहांगीर ने अखाड़े को 700 बीघा जमीन दी, औरंगजेब बीमार होने पर गंगाजल पीते थेसाल 1567, प्रयाग से करीब 55 किलोमीटर दूर कड़ा के सरदार अलीकुली खां ने बगावत कर दी। विद्रोह कुचलने के लिए अकबर सेना के साथ कड़ा पहुंच गए। दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अलीकुली मारा गया। जीत के बाद अकबर प्रयाग पहुंचे और दो दिनों तक वहां रहे। संगम का इलाका अकबर को इतना भाया कि उन्होंने वहां किला बनाने की ठान ली।
अकबर ने ये कहते हुए इबादतखाने को बंद करवा दिया कि ’मैंने धार्मिक चर्चा के लिए इबादतखाना बनवाया था, लेकिन यहां तो धर्म के नाम पर झगड़े हो रहे। यहां धार्मिक चर्चा की गुंजाइश नहीं बची। धार्मिक चर्चा तो सिर्फ कुंभ में ही हो सकती है।’‘महाकुंभ के किस्से’ सीरीज के पहले एपिसोड में पढ़िए मध्यकाल में कुंभ से जुड़ी 8 दिलचस्प कहानियां…हर्षवर्धन हर छठे साल कुंभ में आते और अपना पूरा खजाना लुटा देते
ह्वेनसांग लिखते हैं- ‘हर्षवर्धन ने सबसे पहले महादानभूमि के भीतर बनी एक झोपड़ी में बुद्ध की मूर्ति स्थापित की। उसका श्रृंगार किया और बहुमूल्य रत्न चढ़ाए। तरह-तरह के वाद्ययंत्र बजाए गए। राजा ने कपड़े, रत्न और भोजन लोगों के बीच बांटे। हालांकि इसके बाद वे वैदिक धर्म के प्रचार-प्रसार में जुट गए। कुमारिल को इस बात का दुख था कि उन्होंने अपने गुरु को धोखा दिया है। उनसे झूठ बोलकर दीक्षा ली है। इसके लिए वे प्रायश्चित करना चाहते थे। तब गुरुद्रोह का दंड था ‘तुषानल’ यानी भूसी की आग में जलकर प्राण त्यागना।
हकीम शम्स उल्ला कादरी की किताब तारीख-ए-हिंद के मुताबिक जहांगीर ने अक्षयवट को कटवा दिया था। उसने उस जगह को लोहे की मोटी चादर से ढंकवा दिया था। ताकि दोबारा वृक्ष बाहर नहीं निकले, लेकिन इसकी कोंपलें भी पनप गईं।पद्म पुराण में अक्षयवट को तीर्थराज प्रयाग का छत्र कहा गया है। मान्यता है कि इस वृक्ष को सीता ने आशीर्वाद दिया था कि प्रलय काल में जब धरती जलमग्न हो जाएगी और सब कुछ नष्ट हो जाएगा, तब भी अक्षयवट हरा-भरा...
तैमूर लंग ने मेले में लूटपाट की। मंदिर तोड़े। महिलाओं को बंधक बनाया। नागा साधुओं को जब पता चला, तो वे तलवार-भाला लेकर तैमूर की सेना पर टूट पड़े। मजबूरन तैमूर हारकर भाग खड़ा हुआ।गुरुनानक देव के बेटे से प्रभावित हुआ जहांगीर, उदासीन अखाड़े को 700 बीघा जमीन दान दी श्रीचंद्रदेव ने बादशाह से बताया कि यहां आने के पहले वे बीमार थे। उन्हें तेज बुखार था। उन्होंने बुखार से कह रखा था कि जब तक मैं बादशाह के दरबार में रहूं, तुम गुदड़ी में रहना। शाहजहां इससे काफी प्रभावित हुआ और श्रीचंद्रदेव को 700 बीघा जमीन दान कर दी। आगे चलकर ये जमीन उदासीन अखाड़े को मिली।दारा शिकोह ने कुंभ में शास्त्रार्थ शुरू करवाया, बीमार पड़ने पर गंगाजल पीते थे औरंगजेब
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