Maha Kumbh 2025 आइए जानते हैं श्री शंभू पंचदशनाम आवाहन अखाड़े के बारे में जहाँ साधु-संत भिक्षा मांगने के बजाय अपने पुरुषार्थ से धर्म की रक्षा करते हैं। इस अखाड़े के संतों ने सदियों से मतांतरण का विरोध किया है और सनातन धर्म की रक्षा के लिए युद्ध लड़े हैं। जानिए इस अद्वितीय अखाड़े के इतिहास परंपराओं और सिद्धांतों के बारे...
जागरण संवाददाता, महाकुंभनगर। आपने घर-घर जाकर संतों को भिक्षा मांगते देखा होगा। हो सकता है आपने भी किसी संत को भिक्षा देकर आशीर्वाद लिया हो। भिक्षा मांगना आध्यात्मिक परंपरा का अंग है। भिक्षा में जो मिलता है साधु-संत उसी का सेवन करते हैं। अखाड़ों के नागा संतों के लिए मात्र पांच से सात घरों में भिक्षा मांगकर भोजन करने का विधान है, लेकिन श्री शंभू पंचदशनाम आवाहन की व्यवस्था उलट है। इस अखाड़े के संत किसी के सामने हाथ नहीं फैलाते। अगर कोई स्वेच्छा से कुछ देता है तो ठीक है, अन्यथा भूखे रह जाएंगे।...
मांगने का आरोप लगने पर हरिद्वार के वर्ष 2002 में श्रीमहंत कौशल गिरि व 2005 में श्रीमहंत हरिश्वरानंद पुरी, वर्ष 2011 में नासिक के श्रीमहंत रत्नानंद गिरि, 2013 में जयपुर के श्रीमहंत शंकर भरती, 2014 में काशी के महंत नित्यानंद पुरी, 2019 में प्रयागराज के महंत जगदीश्वर पुरी, 2021 में महंत इंद्रेश्वर भारती को अखाड़े के समस्त पदों से मुक्त कर दिया गया। ऐसे संतों को अखाड़े की व्यवस्था में नहीं रखा जाता। श्री पंचदशत नाम आवाहन अखाड़ा का नगर प्रवेश करते साधु संत। जागरण आर्काइव श्रीमहंत होते हैं कर्ताधर्ता...
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