किसानों के लिए कीवी की खेती एक मुनाफे की खेती मानी जाती है. इसकी खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. वैसे तो कीवी की पौध दिसंबर से लेकर जनवरी माह तक लगाई जाती है. लेकिन मई से लेकर सितंबर के बीच में इन पौधों के ग्रोथ का समय रहता है. साथ ही एक दो साल के पौधों में भी खासा ध्यान देने की आवश्यकता है. क्योंकि, ये ही आने वाली पैदावार को तय करेंगे.
गढ़वाल विश्वविद्यालय के उद्यानिकी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. तेजपाल बिष्ट ने बताया वैसे तो कीवी की गोल्डन व रेड फ्लैश वैरायटी की डिमांड सबसे अधिक रहती है. लेकिन, उत्तराखंड में फिलहाल ग्रीन फ्लैश वैरायटी की खेती हो रही है. हालांकि, गोल्डन व रेड फ्लैश की खेती करने की ओर भी ध्यान दिया जा रहा है. डॉ टीएस बिष्ट ने कहा कीवी की खेती करते समय मुख्य रूप से कुछ चीजों को ध्यान देने की आवश्यकता है. कहते हैं कि उत्तराखंड में कीवी की खेती उपयुक्त है.
साथ ही सपोर्ट के लिए रस्सी का सहारा भी लेना चाहिए. ताकि दूर-दूर तक बेल फैले और जब उसमें फल आए. तो वो आसानी से पत्तियों के नीचे झुक जाएं. कीवी की खेती में वैसे तो पानी की अधिक आवश्यकता नहीं है. लेकिन, शुरुआती समय में पानी देना बहुत जरूरी है. अगर ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से पानी पौधों तक पहुंचाया जाए तो इससे पानी की अधिक खपत होने से भी बचा जा सकता है. उन्होंने बताया शुरुआती 2- 3 सालों में अगर अच्छे से देखभाल कर ली तो यह बहुत अच्छा मुनाफा देने की काबिलियत रखने वाली फसल है. कीवी एक औषधीय फल है.
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