नागरिकता संशोधन विधेयक: अमित शाह की शरणार्थी-घुसपैठिए की परिभाषा कितनी सही?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाक़त अली ख़ान और भारतीय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरूगृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 1950 में दिल्ली में नेहरू-लियाकत समझौता हुआ था और उस समझौते के तहत यह निश्चित किया गया कि भारत और पाकिस्तान अपने-अपने अल्पसंख्यकों का ख़याल रखेंगे. पाकिस्तान ने भारत को विश्वास दिलाया था कि वो अपने यहां हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसियों का ध्यान रखेगा.
प्रोफ़ेसर संजय भारद्वाज कहते हैं कि गृह मंत्री अमित शाह ने या तो जल्दबाज़ी में या फिर कुल मिलाकर यह आंकड़ा दिया होगा लेकिन 1947 से 1971 की पूरी यात्रा के दौरान पूर्वी पाकिस्तान में सिर्फ़ 15 फ़ीसदी अल्पसंख्यक बचे थे, बांग्लादेश बनने के बाद भी यह संख्या घटती रही और 1991 में वहां सिर्फ़ 10 फ़ीसदी अल्पसंख्यक बचे जबकि 2011 में वहां सिर्फ़ 8 फ़ीसदी अल्पसंख्यक बचे.वो कहते हैं कि पाकिस्तान में घटते-घटते अब अल्पसंख्यकों की संख्या एक फ़ीसदी तक पहुंच गई है.
उन्होंने भारत में मुसलमानों की संख्या को भी बताया. अमित शाह ने कहा कि 1951 में भारत में मुसलमानों की संख्या 9.8 फ़ीसदी थी और आज मुसलमानों की संख्या 14.23 फ़ीसदी है.कौन है शरणार्थी या घुसपैठिया? उन्होंने कहा,"पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश के मुसलमान उन देशों में अल्पसंख्यक नहीं हैं इसलिए उनके लिए यह प्रावधान नहीं किया जा रहा है. म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमान वाया बांग्लादेश भारत आते हैं और म्यांमार धर्मनिरपेक्ष देश है. रोहिंग्या मुसलमानों को कभी भी स्वीकार नहीं किया जाएगा."
उन्होंने कहा,"अनुच्छेद 14 में समानता का अधिकार दिया गया है, उसके तहत उचित वर्गीकरण का प्रवाधान है और क़ानून बनाने से कोई रोक नहीं है, अनुच्छेद-14 में कहा गया है कि जिसमें समानता का अधिकार न हो उस पर संसद क़ानून नहीं बना सकती. मगर यह किसी एक धर्म के लिए नहीं हुआ है. इसमें से सिर्फ़ एक धर्म के लिए करते तो अनुच्छेद-14 ज़रूर आड़े आता."
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