अमेरिका में रहने वाले भारतीयों के लिए नागरिकता का सवाल: जन्मसिद्ध नागरिकता पर ट्रंप का आदेश

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अमेरिका में रहने वाले भारतीयों के लिए नागरिकता का सवाल: जन्मसिद्ध नागरिकता पर ट्रंप का आदेश
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अक्षय और नेहा जैसे भारतीय जोडी जो अमेरिका में रहते हैं और अपने भविष्य के बच्चें की नागरिकता के लिए चिंतित हैं। ट्रंप का नया आदेश जन्मसिद्ध अमेरिकी नागरिकता देने पर रोक लगा सकता है जिससे भारतीयों को नागरिकता प्राप्त करने में कठिनाई होगी।

अक्षय और नेहा बीते 10 सालों से अमेरिका में रह रहे हैं और इसी महीने होने वाले अपने बच्चे के भविष्य को लेकर चिंतित हैं.यह भारतीय जोड़ा कुशल विदेशी कर्मचारियों के लिए बने एच-1बी वीज़ा पर अमेरिका में एक दशक तक काम कर चुका है. नेहा का बच्चा 26 फ़रवरी को एक अमेरिकी नागरिक रूप में जन्म लेने वाला है. एक बड़ी टेक फ़र्म में वे काम करते हैं और सपोर्टिव पैरेंटल लीव के साथ उन्होंने कैलिफ़ोर्निया के सैन होज़े में अपनी ज़िंदगी को बड़ी मेहनत से संवारा है.

लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यह नियम बना कर उनके अमेरिका सपने को झटका दे दिया कि अस्थायी विदेशी कर्मचारियों के बच्चों को जन्मसिद्ध अमेरिकी नागरिकता नहीं मिलेगी. डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ़ और भारत के विकसित राष्ट्र बनने की संभावना पर हरदीप सिंह पुरी ने बीबीसी से क्या कहाअवैध भारतीय प्रवासियों के मुद्दे पर ट्रंप से सीधे न टकराने की क्या है मोदी सरकार की रणनीतिमैरीलैंड में एक संघीय जज ने इस आदेश पर रोक लगा दी और सीएटल कोर्ट द्वारा दो हफ़्ते के लिए लगाई गई रोक को बढ़ा दिया. इसका मतलब है कि जब तक यह मामला कोर्ट में हल नहीं हो जाता, आदेश प्रभावी नहीं होगा, हालांकि इसकी भी संभावना बनी हुई है कि उच्च अदालत में इस फ़ैसले को पलट दिया जाए.अवैध भारतीय प्रवासियों के मुद्दे पर ट्रंप से सीधे न टकराने की क्या है मोदी सरकार की रणनीतिइमेज कैप्शन, ट्रंप ने कहा है कि उन लोगों के बच्चों को जन्मसिद्ध अमेरिकी नागरिकता का अधिकार नहीं मिलेगा, जो अवैध रूप से या अस्थायी वीज़ा पर अमेरिका में रह रहे हैं.कई याचिकाओं और क़ानूनी चुनौतियों के साथ बढ़ती अनिश्चितता ने अक्षय, नेहा और हज़ारों लोगों को पसोपेश में डाल दिया है. अक्षय कहते हैं, 'इसका हम पर सीधा असर है. अगर आदेश लागू होता है, हमें नहीं पता कि आगे क्या होगा. यह बिल्कुल अनिश्चित भविष्य है.'न्यूयॉर्क के आव्रजन वकील साइरस मेहता कहते हैं कि उनकी चिंता वाजिब है, 'अमेरिकी क़ानून में यहां जन्मे व्यक्ति को नॉन-इमिग्रेंट का दर्ज़ा देने का कोई प्रावधान नहीं है.' जैसे जैसे शिशु के जन्म की तारीख़ नजदीक आ रही है, उन्होंने अपने डॉक्टर से पहले डिलीवरी कराए जाने के बारे में सलाह ली. और डॉक्टर का कहना था कि अगर सब कुछ ठीक रहता है तो 40वें सप्ताह में डिलीवरी हो सकती है, लेकिन उन्होंने इंतज़ार करने का विकल्प चुना. नेहा कहती हैं, 'मैं चाहती हूं कि यह सब स्वाभाविक प्रक्रिया से हो.' जबकि अक्षय कहते हैं, 'सुरक्षित डिलीवरी और मेरी पत्नी का स्वास्थ्य मेरी प्राथमिकता है. नागरिकता का नंबर इसके बाद आता है.' अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ़ फ़िज़ीशियन ऑफ़ इंडियन ओरिजिन (एएपीआई) के अध्यक्ष डॉ. सतीश कठुला ने समय से पहले ऑपरेशन के द्वारा डिलीवरी चाहने वाले परिवारों के बारे में मीडिया में आई ख़बरों के बाद भारतीय मूल के प्रसूति विशेषज्ञों से संपर्क किया. अधिकांश डाक्टरों ने बताया कि न्यूजर्सी में कुछ मामलों को छोड़कर और कहीं ऐसी पूछताछ की घटनाएं सामने नहीं आईं. ओहायो में रहने वाले डॉ. सतीश कठुला ने कहा, 'एक ऐसे देश में जहां कड़े मेडिकल क़ानून हैं, महज नागरिकता के लिए समय से पहले सी-सेक्शन (सर्जरी) न कराने की मैं सलाह दूंगा.'डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ़ और भारत के विकसित राष्ट्र बनने की संभावना पर हरदीप सिंह पुरी ने बीबीसी से क्या कहाप्रियांशी और पीयूष अपने पहले बच्चे के आगमन की तैयारी कर रहे हैं लेकिन उससे पहले उसके भविष्य को लेकर उहापोह में आ गए हैं. अमेरिकी नागरिकता बहुत प्रतिष्ठित है, ख़ासकर कुशल एच-1बी वीज़ा धारकों के लिए और इस श्रेणी में भारतीय अमेरिका में दूसरे सबसे बड़े आप्रवासी समूह हैं. आप्रवासन नीति विश्लेषक स्नेहा पुरी चेताती हैं कि जन्मसिद्ध नागरिकता से संबंधित आदेश का भारतीयों पर सबसे अधिक असर होगा. अमेरिका में 50 लाख भारतीयों के पास नॉन-इमिग्रेंट वीज़ा है. स्नेहा पुरी ने बीबीसी से कहा, 'अगर इसे लागू किया जाता है तो भविष्य में पैदा होने वाले उनके बच्चों को नागरिकता नहीं मिलेगी.' दक्षिण एशिया मूल के वे लोग जो भविष्य में माता पिता बन सकते हैं, ऑनलाइन ग्रुपों में चिंता व्यक्त कर रहे हैं कि यह आदेश उन पर क्या असर डालेगा और आगे क्या करना चाहिए. ट्रंप के शासकीय आदेश के अनुसार, क़ानूनी रूप से स्थायी निवासियों के बच्चों को अमेरिकी नागरिकता के दस्तावेज हासिल करने में कोई दिक्कत नहीं होगी. लेकिन अमेरिका में रह रहे भारतीयों को वैध स्थायी निवास प्रदान करने वाला ग्रीन कार्ड पाने में किसी भी विदेशी नागरिक से अधिक इंतज़ार करना पड़ता है. मौजूदा अमेरिकी नियमों के अनुसार, किसी एक देश के लोगों को दिए जाने वाले ग्रीन कार्ड की संख्या कुल दिए गए ग्रीन कार्ड के 7% से अधिक नहीं होना चाहिए. भारतीयों को हर साल 72% एच-1बी वीज़ा दिया जाता है. कैटो इंस्टीट्यूट के अनुसार, 2023 में रोज़गार के आधार पर ग्रीन कार्ड का इंतज़ार कर रहे लोगों में 62% भारतीय हैं, यह संख्या 11 लाख है.कोलंबिया की तरह अपने लोगों को अमेरिका से वापस लाने के लिए भारत ने क्यों नहीं भेजा विमान?नागरिकता के लिए आजीवन इंतज़ार का डरअपनी रिपोर्ट में कैटो के डायरेक्टर ऑफ़ इमिग्रेशन स्टडीज़ के डेविड बेयर ने चेतावनी दी है, 'अब नए भारतीय आवेदकों को आजीवन इंतज़ार करना पड़ सकता है, और इनमें ग्रीन कार्ड पाने से पहले ही चार लाख लोग मर जाएंगे.' ग्रीन कार्ड की सीमा के चलते, अन्य देशों के अधिकांश आप्रवासी साल भर के अंदर स्थायी निवास की वैधता हासिल कर लेते हैं और उन्हें जल्द नागरिकता मिल जाती है. अगर यह आदेश लागू होता है तो ट्रंप का एक्ज़ीक्युटिव आदेश का उन आप्रवासियों पर भी असर पड़ेगा, जिनके पास वैध कागज़ात नहीं हैं. उनपर भी जिनके बच्चों को पहले स्वाभाविक रूप से नागरिकता मिल जाती थी और 21 साल के होने पर अपने माता पिता के ग्रीन गार्ड आवेदन के प्रायोजक बन सकते थ

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