स्पष्ट है कि आइएनडीआइए के घटक दलों के पास न तो कोई एकसमान नजरिया है और न ही एक जैसी रणनीति। उनके घोषणा पत्रों में मौलिक सोच का अभाव दिखता है जिसमें न तो रोजगार बढ़ाने बेरोजगारी महंगाई और गरीबी कम करने को लेकर कोई ठोस योजना है और न ही राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति को मजबूत करने का कोई विजन...
प्रो.
रसाल सिंह। आम चुनावों में राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दल अपने वादों और घोषणा पत्रों के माध्यम से जनता को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं। भाजपा ने अपने घोषणा पत्र को ‘संकल्प पत्र’ नाम दिया है, वहीं कांग्रेस ने इसे ‘न्याय पत्र’ कहा है। इसके अलावा भी कई राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दलों के घोषणा पत्र आए हैं। विपक्षी मोर्चे आइएनडीआइए के घटक दलों में कांग्रेस, द्रमुक, सपा, आप, राजद, माकपा और भाकपा के घोषणा पत्रों में कई समानताएं तो हैं, लेकिन उनमें वैचारिक या राजनीतिक स्तर पर अनेक असमानताएं भी हैं। प्रश्न है कि...
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