इटावा में है प्राचीनतम स्मारक, जानिए क्यों इल्तुतमिश के मकबरे को देता है चुनौती

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इटावा में है प्राचीनतम स्मारक, जानिए क्यों इल्तुतमिश के मकबरे को देता है चुनौती
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Etawah News: इटावा का बाइस ख्वाजा स्मारक भारतीय इतिहास में मोहम्मद गौरी के 22 सेनापतियों की कब्रों के रूप में महत्वपूर्ण है. यह स्थान 1193 में गौरी की सेना की पराजय की याद दिलाता है.

इटावा: महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़े उत्तर प्रदेश के इटावा का नाम इतिहास के एक ऐसे पन्ने में दर्ज है जो इसे प्राचीनतम बता रहा है. असल में, भारत पर आक्रमण के समय मुगल आक्रमणकारी मोहम्मद गौरी जब इटावा पर हमला करने आया, तो उसका मुकाबला कन्नौज के राजा जयचंद के सामंत इटावा के राजा सुमेर सिंह की सेना से 1193 में हुआ. जिसमें गौरी के 22 हजार सैनिक और 22 सेनापति मारे गए.

इस युद्ध में गौरी के 22 हजार सैनिक और 22 फौजी अफसर मारे गए थे. आज भी उन 22 अफसरों की कब्र इटावा में प्रदर्शनी स्थल के निकट बनी हुई है, जो बाइस ख्वाजा के नाम से प्रसिद्ध है. जबकि जिस स्थान पर मारे गए 22 हजार सैनिक एक साथ दफन किए गए, वह अब भी ‘बाईसी’ के नाम से जाना जाता है. ऐतिहासिक स्रोत और तथ्य ऐतिहासिक स्रोत बताते हैं कि मोहम्मद गोरी के इटावा आक्रमण के समय सुमेर सिंह के साथ उसका तीव्र युद्ध हुआ था. युद्ध में मुहम्मद गोरी के बाइस प्रमुख सरदार मारे गए थे.

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