एक देश एक चुनाव: बहस और पृष्ठभूमि

राजनीति समाचार

एक देश एक चुनाव: बहस और पृष्ठभूमि
एक देश एक चुनावलोकसभा चुनावविधानसभा चुनाव
  • 📰 Amar Ujala
  • ⏱ Reading Time:
  • 75 sec. here
  • 9 min. at publisher
  • 📊 Quality Score:
  • News: 54%
  • Publisher: 51%

यह लेख एक देश एक चुनाव की बहस का मूल्यांकन करता है और इसकी प्रेरणाओं को बताता है।

क्या है एक देश एक चुनाव की बहस? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 के स्वतंत्रता दिवस पर एक देश एक चुनाव का जिक्र किया था। तब से अब तक कई मौकों पर भाजपा की ओर एक देश एक चुनाव की बात की जाती रही है। यह विचार इस पर आधारित है कि देश में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हों। अभी लोकसभा यानी आम चुनाव और विधानसभा चुनाव पांच साल के अंतराल में होते हैं। इसकी व्यवस्था भारतीय संविधान में की गई है। अलग-अलग राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल अलग-अलग समय पर पूरा होता है, उसी के हिसाब से उस

राज्य में विधानसभा चुनाव होते हैं। हालाँकि, कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ होते हैं। इनमें अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम जैसे राज्य शामिल हैं। वहीं, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम जैसे राज्यों के चुनाव लोकसभा चुनाव से ऐन पहले हुए तो लोकसभा चुनाव खत्म होने के छह महीने के भीतर हरियाणा, जम्मू कश्मीर में चुनाव हो रहे हैं। जल्द ही महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव तारीखों का एलान हो सकता है। एक देश एक चुनाव की बहस की वजह क्या है? दरअसल, एक देश एक चुनाव की बहस 2018 में विधि आयोग के एक मसौदा रिपोर्ट के बाद शुरू हुई थी। उस रिपोर्ट में आर्थिक वजहों को गिनाया गया था। आयोग का कहना था कि 2014 में लोकसभा चुनावों का खर्च और उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों का खर्च लगभग समान रहा है। वहीं, साथ-साथ चुनाव होने पर यह खर्च 50:50 के अनुपात में बंट जाएगा। सरकार को सौंपी अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट में विधि आयोग का कहना था कि साल 1967 के बाद एक साथ चुनाव कराने की प्रक्रिया बाधित हो गई। आयोग का कहना था कि आजादी के शुरुआती सालों में देश में एक पार्टी का राज था और क्षेत्रीय दल कमजोर थे। धीरे-धीरे अन्य दल मजबूत हुए कई राज्यों की सत्ता में आए। वहीं, संविधान की धारा 356 के प्रयोग ने भी एक साथ चुनाव कराने की प्रक्रिया को बाधित किया। अब देश की राजनीति में बदलाव आ चुका है। कई राज्यों में क्षेत्रीय दलों की संख्या काफी बढ़ी है। वहीं, कई राज्यों में इनकी सरकार भी है। लोकसभा-विधानसभा चुनावों का खर्च एकसमान विधि आयोग आयोग के मुताबिक 2014 लोकसभा चुनावों में कुल 35 अरब 86 करोड़ 27 लाख रुपए खर्च हुए थे। अकेले हरियाणा में इस पर 29 करोड़ खर्च हुए। राज्य मे

हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

Amar Ujala /  🏆 12. in İN

एक देश एक चुनाव लोकसभा चुनाव विधानसभा चुनाव विधि आयोग राजनीतिक बहस भारतीय संविधान

इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें

Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।

One Nation One Election: 'एक राष्ट्र एक चुनाव' भारत के लोकतंत्र के लिए हानिकारकOne Nation One Election: 'एक राष्ट्र एक चुनाव' भारत के लोकतंत्र के लिए हानिकारकOne Nation One Election: एक राष्ट्र एक चुनाव पर कोविंद समिति का तर्क है कि एक साथ चुनाव कराने से देश की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा और चुनावी खर्च कम होगा.
और पढो »

एक देश एक चुनाव: क्या है बहस का कारण?एक देश एक चुनाव: क्या है बहस का कारण?पत्रिका में एक देश एक चुनाव पर चर्चा की गई है। यह विचार एक देश में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभा चुनाव एक साथ होने पर आधारित है। भारतीय संविधान में अलग-अलग राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल अलग-अलग समय पर पूरा होने के कारण, विधानसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। हालाँकि, कुछ राज्यों में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ होते हैं। विधि आयोग ने एक ड्राफ्ट रिपोर्ट में आर्थिक कारणों से एक देश एक चुनाव की सिफारिश की थी। आयोग का मानना है कि साथ-साथ चुनाव होने पर खर्च 50:50 के अनुपात में बंट जाएगा।
और पढो »

लोकसभा में 'एक देश, एक चुनाव' बिल पेशलोकसभा में 'एक देश, एक चुनाव' बिल पेशलोकसभा में 'एक देश, एक चुनाव' संशोधन बिल 2024 पेश किया गया। यह बिल लोकसभा, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनावों को एक साथ कराने का प्रस्ताव रखता है।
और पढो »

एक देश-एक चुनाव: सरकार का विपक्ष को जवाबएक देश-एक चुनाव: सरकार का विपक्ष को जवाबलोकसभा में 'एक देश-एक चुनाव' से जुड़ा बिल पेश होने के बाद केंद्र सरकार ने इसका समर्थन किया और विपक्ष के आलोचनाओं का जवाब दिया.
और पढो »

कांग्रेस ने 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' पर केंद्र सरकार पर किया हमलाकांग्रेस ने 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' पर केंद्र सरकार पर किया हमलाकांग्रेस ने 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला और कहा कि इसके पीछे मोदी सरकार की मंशा 'एक राष्ट्र, कोई चुनाव नहीं' है।
और पढो »

सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने 'एक देश एक चुनाव' पर केंद्र पर निशाना साधासपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने 'एक देश एक चुनाव' पर केंद्र पर निशाना साधालोकसभा में सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने 'एक देश एक चुनाव' पर केंद्र पर निशाना साधा और भारतीय जनता पार्टी के तानाशाही वाले कार्यक्रमों पर सवाल उठाया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि एक देश-एक चुनाव का प्रस्ताव तानाशाही लाने का एक नया तरीका है। सपा प्रमुख और सांसद अखिलेश यादव ने भी सोशल मीडिया पर लिखा कि 'एक देश-एक चुनाव' का फैसला सच्चे लोकतंत्र के लिए घातक साबित होगा।
और पढो »



Render Time: 2025-02-13 19:28:17