अमेरिकी प्रशासन एच-1बी वीजा धारकों को राहत देने की तैयारी में है। भारत स्थित अमेरिकी दूतावास एक प्रौद्योगिक आधारित प्रायोगिक परियोजना पर काम कर रहा था जिसका उद्देश्य एच-1बी वीजा धारकों को भारत आने या अमेरिका से बाहर जाने की बाध्यता समाप्त करना था।
आज अमेरिका में भारत ीयों को मिलने वाले एच-1बी वीजा को लेकर जबरदस्त राजनीतिक विवाद चल रहा है। ऐसे में अमेरिकी प्रशासन की तरफ से इस वीजा को हासिल करने वाले भारत ीयों को एक बड़ी राहत देने का संकेत दिया है। अभी एच-1बी वीजा धारकों को एक निश्चित समय अंतराल पर भारत आना पड़ता है या अमेरिका से बाहर जाना पड़ता है और पासपोर्ट पर किसी दूसरे देश का स्टांप लगाना पड़ता है। तभी उनका वीजा रिन्यू होता है। अब इस बाध्यता को समाप्त करने के लिए भारत स्थित अमेरिकी दूतावास एक प्रौद्योगिक आधारित प्रायोगिक परियोजना पर
काम कर रहा था। परियोजना सफलतापूर्वक पूरी हो गई है और इसे नये वर्ष 2025 में लागू करने की तैयारी है। आईटी सेक्टर के पेशेवरों को होगी सुविधा यह जानकारी अमेरिकी दूतावास की तरफ से जारी वार्षिकी प्रपत्र में दी गई है। इस सुविधा का सबसे ज्यादा सहूलियत आईटी सेक्टर में कार्यरत भारतीय पेशेवरों को होगी। अभी एक निश्चित अंतराल के बाद उन्हें किसी दूसरे देश में अमेरिकी दूतावास का चक्कर लगाना पड़ता है, जिसके लिए लंबी प्रतीक्षा सूची होती है और इसके लिए सैकड़ों डॉलर भी खर्च करने पड़ते हैं। सनद रहे कि पिछले दिनों नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रमुख सहयोगी व टेस्ला के मुखिया एलन मस्क की तरफ से एच-1बी वीजा का समर्थन किये जाने से काफी बड़ा विवाद पैदा हो गया है। पिछले चुनाव में ट्रंप का समर्थन करने वाले कई प्रमुख हस्तियों ने इस वीजा प्रक्रिया पर रोक लगाने की बात कही है। भारतीयों पर की गईं नस्लीय टिप्पणी विवाद के आड़ में भारतीयों पर नस्लीय टिप्पणियां भी की जा रही हैं। ट्रंप की तरफ से अपनी अगली सरकार के महत्वपूर्ण पदों पर नामित विवेक रामास्वामी, श्रीराम कृष्णन को भी नस्लीय टिप्पणियों का सामना करना पड़ रहा है। माना जाता है कि 20 जनवरी, 2025 को सत्ता संभालने के बाद आव्रजन रोकने को लेकर ट्रंप पहली घोषणा करेंगे
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