कजाकिस्तान: परमाणु कचरे का घर - ये लेख कजाकिस्तान के तत्कालीन राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों में कैसे न्यूक्लियर वेस्ट डंपिंग को स्वीकार करने का निर्णय लिया गया और क्या इसके दीर्घकालिक परिणाम होंगे।
भोपाल गैस कांड में निकले यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे पर इन दिनों भारी हल्ला है. हाल में इस रासायनिक वेस्ट को भोपाल से हटाकर पीथमपुर भेज दिया गया ताकि वहीं इसे जलाकर खत्म किया जा सके. इसके बाद लोग भड़क उठे. प्रोटेस्ट होने लगे कि कचरा किसी भी हाल में उनके यहां न जलाया जाए. एक्सपर्ट सारे लॉजिक देकर हार गए कि इसमें अब कोई जहर नहीं, लेकिन जनता है कि मानने को राजी नहीं. ये हाल एक राज्य का है, जहां एक हिस्से से दूसरे हिस्से में केमिकल वेस्ट को स्वीकारा नहीं जा रहा.
वहीं दुनिया का एक मुल्क ऐसा भी है, जो सारे देशों का बेहद जहरीला न्यूक्लियर वेस्ट अपने यहां जमा करने के लिए राजी था. साल 2002 की बात है, जब कजाकिस्तान ने इसपर मंजूरी दे दी कि दुनियाभर के देश अपने-अपने यहां जमा परमाणु कचरा उसके यहां जमा कर सकें. सेंट्रल एशिया का ये देश नब्बे के दशक में रूस से अलग हुआ था और उसे पैसों की भारी जरूरत थी. पश्चिमी देशों और कजाक सरकार की यह डील कुछ ऐसी ही थी कि गरीब युवक जरूरत के चलते अमीर परिवार को अपनी किडनी बेच दे. लेकिन क्या महज पैसों के लिए उसने हामी भरी थी, या बात कुछ और थी? ये समझने के लिए एक बार तीन दशक पहले के कजाकिस्तान को जानते चलें. नब्बे की शुरुआत में सोवियत संघ का ये हिस्सा टूटकर आजाद देश तो बन गया लेकिन उसके पास आजादी को सेलिब्रेट करने के लिए कुछ नहीं था. उसकी पूरी इकनॉमी रूस के आसपास घूमती थी. अब रूस नहीं था. आजादी के अगले पांचेक साल के भीतर ही देश की अर्थव्यवस्था 40 फीसदी तक गिर गई.Advertisementरूबल करेंसी की बजाए उसने अपनी मुद्रा तेंगे जारी की. कई कोशिशें हुईं लेकिन गिरावट का ग्राफ वैसा ही रहा. कजाकिस्तान में तेल, यूरेनियम और कई मिनरल्स थे लेकिन उनके खनन के लिए पैसे और एक्सपर्ट दोनों ही गायब थे. नूरसुल्तान नजरबायेव इस देश के पहले राष्ट्रपति थे, जो लगातार इकनॉमी पर काम कर रहे थे, इसी बीच एक आया एक प्रपोजल. न्यूक्लियर वेस्ट डंपिंग इनिशिएटिव. इसके तहत परमाणु हथियार बना रहे देशों ने प्रस्ताव दिया कि वे अपने यहां टेस्टिंग करेंगे लेकिन इस प्रोसेस में निकला वेस्ट कजाकिस्तान में भेज देंगे. अमेरिका और यूरोप के कई देशों ने मिलकर ये सुझाव दिया था. अपने देश में क्यों खत्म नहीं करना चाहते थे कूड़ापरमाणु कचरे को खत्म करने में भारी जोखिम ह
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कजाकिस्तान: परमाणु कचरे का गढ़कजाकिस्तान ने साल 2002 में दुनिया भर के देशों को अपने परमाणु कचरा जमा करने की अनुमति दे दी थी। इस फैसले को पैसे की तंगी के चलते लिया गया था, लेकिन क्या इसने अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए ये आखिरी उपाय अपनाया था? इस लेख में, हम कजाकिस्तान के गरीब आर्थिक परिस्थितियों और परमाणु कचरे को स्वीकार करने से जुड़े जोखिमों पर प्रकाश डालते हैं।
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