अशोक और निर्मला के बेटे हरीश की ज़िंदगी बीते 11 साल से बिस्तर पर सिमटकर रह गई है.
आमतौर पर हम किसी के बुरे हालात को देखते हुए जो बात सबसे ज्यादा कहते हैं वो है- ‘ईश्वर पर भरोसा रखिए, वो मदद करेगा.’
निर्मला राना को उम्मीद थी कि एक दिन उनका बेटा ठीक हो जाएगा, लेकिन दिन-महीने और अब 11 साल बीत गए और वो दिन नहीं आया. अब उन्हें ये उम्मीद है ही नहीं कि उनका बेटा कभी ठीक होगा.निर्मला राना और अशोक राना ने बेटे की हालत देख कर बीते साल दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की कि उनके बेटे को यूथेनेशिया यानी इच्छामृत्यु की इजाज़त दी जाए.
अशोक राना कहते हैं, “ डॉक्टर ने हमें कहा कि इसके दिमाग की नसें पूरी तरह सूख गई हैं, यहां तक कि उन्होंने ये भी कहा कि सिटी स्कैन भी करवाने की ज़रूरत नहीं. हम कहां नहीं ले गए. लेकिन कुछ नहीं हुआ, हम सुनते हैं, अखबारों में पढ़ते हैं चमत्कार के बारे में हमारे साथ ना दुआओं ने काम किया और ना ही दवाओं ने.” वो कहते हैं, “ अब नहीं होगा...हम कहां से लाएं इतने पैसे. हमने दो महीने के लिए बेटे की देखभाल के लिए नर्स रखी थी वो 22 हज़ार रुपये ले रही थी. नहीं दे पाए हम उसे पैसे.”
सालों से वो ही अपने बेटे की देखभाल कर रही हैं... जब हम उनसे मिले तो दोपहर के एक बज रहे थे और उन्होंने बताया कि तब तक उन्होंने खाने का एक निवाला तक नहीं खाया क्योंकि बेटे का बिस्तर बदलने से लेकर उसके कपड़े धोने और सालों तक बिस्तर पर पड़े रहने से बेटे की पीठ पर जो धाव हो गए हैं उनकी पट्टी करने में ही आधा दिन बीत गया.
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इच्छामृत्यु को लेकर कॉमन कॉज़ एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करते हुए एक लैंडमार्क फैसला दिया था. जिसमें राइट टू डाई विद डिग्निटी यानी सम्मान से मरने के अधिकार को मौलिक अधिकार माना गया और देश में पैसिव यूथेनेशिया को लीगल बना दिया गया. हरीश राना के वकील मनीष जैन कहते हैं, “ हमने कोर्ट से अपील की थी कि वो एक मेडिकल पैनल का गठन करें और वो पैनल देखे कि यूथेनेशिया हो या नहीं. लेकिन कोर्ट ने कहा कि मरीज़ लाइफ़ सपोर्ट सिस्टम पर नहीं है, लेकिन फूड पाइप भी तो लाइफ़ सपोर्ट ही है. कोर्ट ने बस मरीज़ के प्रति हमदर्दी जताई लेकिन फैसला हमारे हक़ में नहीं दिया. हम यही कर सकते हैं कि अब सुप्रीम कोर्ट जाएं. अगर यूथेनेशिया नहीं दे सकते तो अच्छे अस्पताल में उनका इंतज़ाम करें.
जिस अस्पताल में वो भर्ती थीं उसके स्टाफ़ को कोर्ट ने अरुणा शानबाग का सबसे क़रीबी दोस्त माना. और चूंकि स्टाफ़ ने पैसिव यूथेनेशिया पर सहमति नहीं दी थी इसलिए अरुणा शॉनबाग के केस में इसे लागू नहीं किया गया.जानकार मानते हैं कि भारत जैसे समाज में यूथेनेशिया को लेकर कोई कानून बनाना बहुत चुनौतीपूर्ण है. "ऐसे मामलों पर बीते 25-30 सालों से काम करने के नाते मुझे लगता है कि उचित होता कि एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाता जिसमें कार्डियोलॉजिस्ट, फ़िज़ियोलॉजिस्ट और जनरल फिज़िशियन होते जो कई पहलुओं के आधार पर बताते कि सपोर्ट हटाया जाना चाहिए या नहीं...मूल सवाल ये है कि हाईकोर्ट के पास मरीज़ की क्लिनिकल कंडीशन की फर्स्ट-हैंड असेसमेंट ही नहीं है.”
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।
Firozabad : सरकारी अस्पताल की डॉक्टरों ने पेट में छोड़ा था स्पंज, युवती ने राज्यपाल से मांगी इच्छामृत्युएमजी कॉलेज की पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अंकिता भारद्वाज ने राज्यपाल के नाम जिला प्रशासन को पत्र सौंपकर इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है।
और पढो »
हाथी के बच्चे ने नहाते हुए खूब की मस्ती, बाथटब में लेटकर की मज़ेदार हरकतें, Video देख खुशी से खिल उठा लोगों का चेहराइसमें छोटे हाथी को खुशी से अपने नहाने के समय का मज़ा लेते हुए दिखाया गया है, जो भी इसे देख रहा है उसके चेहरा खुशी से खिल जा रहा है.
और पढो »
US: टेक्सास के स्टोर में डकैती के दौरान भारतीय नागरिक की गोली मारकर हत्या, आठ महीने पहले ही आया था अमेरिकावाणिज्य दूतावास, भारतीय संघों के साथ मिलकर शव परीक्षण और मृत्यु प्रमाणपत्र सहित स्थानीय औपचारिकताओं के बाद शव को भारत वापस लाने के लिए हर संभव मदद कर रहा है।
और पढो »
CM हेमंत सोरेन ने मंत्रियों के बीच किया विभागों का बंटवारा, अब इन मुद्दों पर हो रही चर्चाझारखंड की नई सरकार ने अपने कार्यकाल की शुरुआत करते हुए महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जो राज्य के विकास और जनकल्याण के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं.
और पढो »
Gautam Gambhir: '140 करोड़ भारतीयों के सपनों को पूरा करने के लिए पूरी ताकत लगा दूंगा', कोच बनकर बोले गंभीरगंभीर ने तीन साल के शानदार करियर के लिए द्रविड़ को बधाई दी। उन्होंने कहा, 'अपने तिरंगे, अपने लोगों और अपने देश की सेवा करना सम्मान की बात है।
और पढो »
Assembly Bypolls Live Updates : देश में 7 राज्यों की 13 सीटों पर उपचुनाव आज, चुनावी मैदान में कई दिग्गज7 राज्यों की 13 विधानसभा सीट पर उपचुनाव मौजूदा सदस्यों की मृत्यु या इस्तीफे के कारण हुई रिक्तियों के कारण हो रहा है.
और पढो »