कालानमक: एक चावल जिसके स्वाद और सुगंध के दीवाने हैं लोग, किसान इस बात से हैं परेशान

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कालानमक: एक चावल जिसके स्वाद और सुगंध के दीवाने हैं लोग, किसान इस बात से हैं परेशान
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कालानमक चावल आज भी बाझा गांव और पिपरहवा के बीच उगाया जाता है. गौतम बुद्ध की चिता की राख मिट्टी के एक बर्तन में पिपरहवा के नददीक ब्रितानी इंजीनियर विलियन क्लैक्सटॉन पेपे ने 1897 में खोजी थी. इसके साथ वहां चावल के कुछ दाने भी मिले थे.ये दाने कालानमक के थे.

भारत में धान की खेती का इतिहास करीब उतना ही पुराना है जितना खेती का है.भारत में धान की हजारों प्रजातियों की खेती की जाती है.केंद्र सरकार के मुताबिक भारत में धान की पैदावार 14 सौ लाख टन से अधिक है.धान की हजारों प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं. इन्हीं में से एक है कालानमक. इस चावल को दुनियाभर में शांति का संदेश देने वाले गौतम बुद्ध का प्रसाद माना जाता है. यह चावल अपनी खुशबू और स्वाद के लिए लोकप्रिय है.

वो कहते हैं कि पैदावार में से ही कुछ धान को बीज के लिए बचा कर रख लिया जाता है.उसी को अगले साल बोया जाता है.वो बताते हैं कि कालानमक की एक और प्रजाति आई है,जिसके पौधों की साइज छोटी है.इसमें पैदावार तो थोड़ी अधिक होती है, लेकिन इसका स्वाद और सुगंध उस तरह का नहीं है, जैसी कालानमक की होती है.  कालानमक की नई किस्मेंअंग्रेजी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया'की एक खबर के मुताबिक कृषि वैज्ञानिक राम चेत चौधरी ने संयुक्त राष्ट्र में भी काम किया है.

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