क्या आप भी खेती में बढ़ती लागत और घटती उर्वरा शक्ति से परेशान हैं? ऐसे में कुशीनगर के हरिशंकर राय ने एक ऐसा नया तरीका अपनाया है, जो न केवल लागत को शून्य तक ले आता है, बल्कि आपकी जमीन को भी फिर से उर्वर बना देता है. प्राकृतिक खेती का ये मॉडल खेती को सस्ता, टिकाऊ और स्वास्थ्यवर्धक बनाता है.
कुशीनगर के किसान हरिशंकर राय ने प्राकृतिक खेती को अपनाकर ये साबित किया है कि बिना रासायनिक खाद के भी खेती संभव है. इस पद्धति में 10 किलो गोबर, 10 लीटर गोमूत्र, 1 किलो बेसन, 1 किलो गुड़ और मिट्टी को मिलाकर जैविक खाद तैयार की जाती है. इसे खेत में छिड़कने के बाद बुआई की जाती है. इस तकनीक से लागत लगभग शून्य हो जाती है, जिससे किसान अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं.
उनके गोबर और गोमूत्र का उपयोग जैविक खाद तैयार करने में होता है. इस प्रक्रिया से न केवल पर्यावरण को लाभ मिलता है, बल्कि ये पशुधन को खेती के लिए उपयोगी बनाता है. प्राकृतिक खेती का तरीका न केवल सरल है, बल्कि Eco-friendly भी है. एक ड्रम में गोबर, गोमूत्र, गुड़, बेसन और मिट्टी मिलाकर तैयार मिश्रण को खेतों में छिड़का जाता है. इस पद्धति से फसल की पैदावार बेहतर होती है और रासायनिक दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती. इसके अलावा, ये विधि जैव विविधता को बढ़ावा देती है.
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