कुंभ में जवाहरलाल नेहरू का सत्याग्रह

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कुंभ में जवाहरलाल नेहरू का सत्याग्रह
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द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले प्रयाग कुंभ मेला आमतौर पर बहुत बड़े पैमाने पर आयोजित किया जाता था। उस समय जवाहरलाल नेहरू इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष थे। नेहरू ने अपनी आत्मकथा 'मेरी कहानी' में कुंभ मेले के दौरान अपने अनुभवों का वर्णन किया है। उन्होंने लिखा कि मदन मोहन मालवीय और ब्रिटिश सरकार के बीच विवाद हो गया था, क्योंकि सरकार ने फिसलन के डर से संगम में स्नान पर रोक लगा दी थी। मालवीय जी ने इसका विरोध किया और जल सत्याग्रह कर रहे थे। नेहरू भी उनके साथ शामिल हो गए। उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि उन्होंने गंगा में गोता लगाया और मालवीय जी भी सत्याग्रह के दौरान गंगा में कूद पड़े।

प्रयाग में अर्धकुंभ लगा था। जवाहर लाल नेहरू इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष थे। कुंभ को लेकर नेहरू अपनी आत्मकथा ‘मेरी कहानी’ में लिखते हैं- ‘मैंने खबरों में पढ़ा कि मदन मोहन मालवीय और ब्रिटिश सरकार के बीच ठन गई है। सरकार ने फिसलन के डर से संगम में स्नान पर रोक लगा दी थी, लेकिन मालवीय जी अड़ गए थे। उनका कहना था कि धार्मिक रूप से स्नान तो संगम पर ही होना चाहिए। खबर पढ़ने के बाद मैं संगम के लिए निकल गया। मेरा स्नान का कोई इरादा नहीं था, क्योंकि ऐसे मौकों पर गंगा नहाकर पुण्य कमाने की चाह मुझे नहीं

थी। मेला पहुंचने पर मैंने देखा कि मालवीय जी जिला मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ जल सत्याग्रह कर रहे हैं। 200 लोग उनके साथ थे। जोश में आकर मैं भी सत्याग्रह दल में शामिल हो गया। मैदान के उस पार लकड़ियों का बड़ा सा घेरा बनाया गया था, ताकि लोग संगम नहीं पहुंच सकें। हम आगे बढ़े, तो पुलिस ने रोका, हमारे हाथ से सीढ़ी छीन ली। विरोध में हम रेत पर बैठकर धरना देने लगे। धूप बढ़ती जा रही थी। दोनों तरफ पैदल और घुड़सवार पुलिस खड़ी थी। मेरा धैर्य अब टूटने लगा था। इसी बीच घुड़सवार पुलिस को कुछ ऑर्डर दिया गया। मुझे लगा कि ये लोग कहीं हमें कुचल न दें, पीटना न शुरू कर दें। मैंने सोचा क्यों न हम घेरे के ऊपर से ही फांद जाएं। मेरे साथ बीसों आदमी चढ़ गए। कुछ लोगों ने उसकी बल्लियां भी निकाल लीं। इससे रास्ता जैसा बन गया। मुझे बहुत गर्मी लग रही थी, सो मैंने गंगा में गोता लगा दिया। स्नान करके निकला, तो यह देखकर मैं हैरान रह गया कि मालवीय जी अभी भी सत्याग्रह पर बैठे हुए हैं। मैं चुपचाप जाकर उनके पास बैठ गया। मालवीय जी बहुत भिन्नाये हुए थे और ऐसा लग रहा था कि वे खुद को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। अचानक बिना किसी से कुछ कहे मालवीय जी उठे और पुलिस के बीच से निकलकर गंगा में कूद पड़े। मालवीय जी जैसे दुर्बल और बूढ़े शरीर वाले व्यक्ति को इस तरह गोता लगाते देखकर मैं हैरान रह गया। इसके बाद तो पूरी भीड़ गंगा में डुबकी लगाने के लिए टूट पड़ी। हमें लग रहा था कि सरकार कुछ कार्रवाई करेगी, लेकिन कुछ नहीं हुआ।\कुंभ के दौरान संगम में डुबकी लगाते हुए जवाहर लाल नेहरू।1801 में इलाहाबाद पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। कुंभ और माघ मेले पर जुटने वाली लाखों की भीड़ देख अंग्रेजों को कमाई का आइडिया मिला। उस साल कुंभ में आने वाले हर तीर्थयात्री से एक रुपए टैक्स लिया गया। वसूली करने के लिए अफसर तैनात किए गए। इसके बाद हर कुंभ में ब्रिटिश सरकार कुंभ से कमाई करने लगी

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