इस लेख में 1954 के प्रयागराज कुंभ मेले में मची भगदड़ से जुड़े दावों की पड़ताल की गई है। लेख में बताया गया है कि क्या प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू उस दिन कुंभ मेले में थे, क्या प्रशासन का पूरा ध्यान उनके आगमन की तैयारी में था और क्या सरकार ने मौतों की संख्या कम दिखाने के लिए लाशों को जलाने का प्रयास किया था।
नई दिल्ली: प्रयागराज में संगम तट पर महाकुंभ मेले का आयोजन हो रहा है। इसे लेकर राजनीति के भी कई रंग दिख रहे हैं। मेले के प्रबंधन को लेकर दावों और आरोपों की झड़ी लग रही है तो इतिहास के पन्ने भी खंगाले जा रहे हैं। इसी बीच 1954 के कुंभ मेले में मची भगदड़ की चर्चा भी होने लगी है। सोशल मीडिया पर स्वतंत्र भारत में आयोजित पहले कुंभ मेले में श्रद्धालुओं की मौतों और भगदड़ में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की भूमिका को लेकर बहस का बाजार गरम हो रहा है। क्या है दावा?एक्स हैंडल @KhulasaIndia ने 1954 ...
दा फोटोग्राफर।क्या है सच्चाई?हमने इन दावों की पड़ताल के लिए इंटरनेट खंगाला तो कई सबूत हाथ लग गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 1 मई, 2019 को 1954 के कुंभ मेले में मची भगदड़ की चर्चा की थी। दावा- पंडित जवाहरलाल नेहरू 1954 के कुंभ के मेले में प्रयागराज पहुंचे। उस दिन भगदड़ में नेहरू मेला स्थल पर ही थे। सच्चाई- 3 फरवरी, 1954 को मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज के कुंभ मेले में भगदड़ मची थी, इसकी खबर देखिए।क्या उस दिन नेहरू कुंभ मेले में थे? आज तक की वेबसाइट पर 3 मई, 2019 को प्रकाशित खबर में वरिष्ठ...
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