सुल्तानपुर जिले के किसान करुणाशंकर मिश्रा ने पारंपरिक फसलों को छोड़कर केले की खेती की और उन्हें अच्छी पैदावार और मुनाफा हुआ है. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा केले के पौधे लगाने के लिए सब्सिडी मिलने से उनकी खेती और अधिक लाभदायक बन गई है.
सुल्तानपुर जिले की रामपुर बबुवान ग्राम सभा विकास खण्ड बल्दीराय के रहने वाले किसान करुणाशंकर मिश्रा ने लोकल18 को बताया कि पारंपरिक फसल ें धान-गेहूं को छोड़कर केले की खेती करने का निर्णय लिया. इस खेती से उन्हें कम लागत में अच्छा मुनाफा होने लगा, जिससे उन्होंने अब अपने सभी खेतों में केले की खेती करना शुरू कर दिया है. करुणाशंकर ने बताया कि लगभग 5 बीघा खेत में उन्होंने 1700 पौधे लगाए थे, जिनकी कुल लागत 1 लाख रुपए आई. जब फसल तैयार हुई, तो उन्होंने 5 लाख रुपए का केला बेचा.
उन्हें केले की खेती में काफी फायदा हो रहा है और यह उनके लिए एक सफल व्यवसाय साबित हुआ है. किसान का कहना है कि उन्हें केले की खेती करने का प्रोत्साहन जिला उद्यान विभाग से मिला है. इसके साथ ही, सरकार द्वारा केले के पौधे लगाने के लिए सब्सिडी भी उपलब्ध करवाई गयी, जिसके लिए उन्होंने जिला उद्यान अधिकारी रणविजय सिंह और ब्लॉक इंचार्ज सुमित सिंह को धन्यवाद दिया. उन्होंने आगे बताया कि केले के पौधे जुलाई माह में लगाए जाते हैं और लगभग 13-14 महीने बाद उसमें फल तैयार हो जाते हैं. इस फसल के तैयार होने की कुल अवधि 15 महीने की होती है. इसके बाद, इस खेत में गेहूं की फसल भी उगाई जाती है, जिससे खेत का सही उपयोग होता है. किसान ने कहा कि केले के पौधों में प्रति पौधा औसतन 40 से 50 किलो केला का उत्पादन होता है, जो एक घरिया के अनुसार सामान्य है. उन्होंने बताया कि यह फसल हर साल अच्छी पैदावार देती है और उन्हें इससे शानदार मुनाफा मिलता है. उन्होंने बताया कि बाजार में केले को दर्जन में नहीं, बल्कि वजन में तौला जाता है. प्रत्येक वर्ष औसतन 2 हजार रुपए प्रति कुंतल के हिसाब से किसानों द्वारा केला बेचा जाता है. यह बाजार की कीमतों के हिसाब से किसानों के लिए एक अच्छा व्यापार बन गया है. किसान ने कहा कि एक केले के पौधे की लागत लगभग 100 रुपए होती है, जबकि मुनाफा 200 से 250 रुपए तक का होता है. इस तरह, करुणाशंकर मिश्रा की खेती न केवल लाभकारी साबित हो रही है, बल्कि यह अन्य किसानों के लिए भी एक प्रेरणा बन चुकी है. उनका कहना है कि अगर सही तरीके से खेती की जाए और सरकारी सहायता का सही उपयोग किया जाए, तो खेती से अच्छे मुनाफे के साथ आत्मनिर्भरता भी हासिल की जा सकती है
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