दिसंबर के महीने में गेहूं की फसल के लिए सिंचाई और पोषक तत्व के महत्व पर प्रकाश डाला गया है. किसानों को सिंचाई के लिए निर्देश दिए गए हैं और यूरिया और बायोवीटा जैसी खादों का उपयोग करने के लाभों पर चर्चा की गई है.
दिसंबर का महीना गेहूं की फसल के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. किसान इन दिनों गेहूं की फसल में पहली सिंचाई करते हैं. यह अवस्था गेहूं के पौधों में कल्ले करने के लिए भी उपयुक्त मानी जाती है. अगर किसान कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें तो गेहूं की फसल में अनगिनत कल्ले निकलेंगे और पूरा खेत हरा-भरा हो जाएगा. सिंचाई गेहूं की फसल में अहम भूमिका निभाती है. पहली सिंचाई 21 से 25 दिनों तक जारी रखें. सिंचाई इतनी ही करें कि पानी जमा ना हो. सिंचाई ज्यादा हो जाए तो तत्काल जल निकासी का प्रबंध करें.
किसी भी पौधे की बढ़वार के लिए पोषक तत्व जरूरी होते हैं. सिंचाई के 5 से 6 दिन बाद जब खेत में नमी हो और पैर टिकने लगे तो नाइट्रोजन यानी यूरिया का छिड़काव कर दें. 1 एकड़ गेहूं की फसल में 40 से 50 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव करें. यूरिया में पाई जाने वाली नाइट्रोजन पौधों को हरा-भरा करती है और तेजी से कल्ले निकलने लगते हैं. यूरिया के साथ-साथ किसान ऑर्गेनिक खाद बायोवीटा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. किसान एक एकड़ फसल के लिए 5 किलोग्राम बायोवीटा यूरिया में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं. बायोवीटा में सल्फर, आयरन, मैग्नीशियम, मैंगनीज, कैल्शियम, कोबाल्ट और जिंक जैसे अहम पोषक तत्व पाए जाते हैं. बायोवीटा का इस्तेमाल करने से मिट्टी में पहले से मौजूद पोषक तत्व भी सक्रिय हो जाते हैं. पौधे तेजी से बढ़वार करते हैं और कल्लों की संख्या भी तेजी से बढ़ती है. एक्सपर्ट का कहना है कि गेहूं की फसल में अगर किसान नाइट्रोजन के साथ बायोवीटा का इस्तेमाल कर रहे हैं तो समय का भी ध्यान रखें. बेहतर परिणाम पाने के लिए शाम के समय नाइट्रोजन और बायोवीटा का छिड़काव करें. ऐसा करने से पौधे ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पोषक तत्वों को ग्रहण कर लेंगे
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