जयशंकर प्रसाद की कविता में 'पाथेय' शब्द का अर्थ और उपयोग

साहित्य समाचार

जयशंकर प्रसाद की कविता में 'पाथेय' शब्द का अर्थ और उपयोग
पाथेयजयशंकर प्रसादहिंदी साहित्य
  • 📰 Amar Ujala
  • ⏱ Reading Time:
  • 54 sec. here
  • 7 min. at publisher
  • 📊 Quality Score:
  • News: 42%
  • Publisher: 51%

यह लेख जयशंकर प्रसाद की कविता से 'पाथेय' शब्द का अर्थ और संदर्भ समझाने पर केंद्रित है। 'पाथेय' शब्द का अर्थ 'पथ में काम आने वाला खाद्य पदार्थ' और 'यात्रा की सामग्री और व्यय के लिए धन' है। लेख में कवि ने इस शब्द का प्रयोग कैसे किया है, यह समझने के लिए उनकी कविता के अंश का विश्लेषण किया गया है।

हिंदी हैं हम शब्द-शृंखला में आज का शब्द है पाथेय जिसका अर्थ है - 1. पथ में काम आने वाला खाद्य पदार्थ 2.

यात्रा की सामग्री और व्यय के लिए धन। कवि जयशंकर प्रसाद ने अपनी कविता में इस शब्द का प्रयोग किया है। मधुप गुन-गुनाकर कह जाता कौन कहानी अपनी यह, मुरझाकर गिर रहीं पत्तियां देखो कितनी आज घनी। इस गंभीर अनंत-नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास यह लो, करते ही रहते हैं अपने व्यंग्य मलिन उपहास तब भी कहते हो- कह डालूं दुर्बलता अपनी बीती। तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे-यह गागर रीती। किंतु कहीं ऐसा न हो कि तुम ही खाली करने वाले- अपने को समझो, मेरा रस ले अपनी भरने वाले यह विडंबना! अरी सरलते हसी तेरी उड़ाऊं मैं भूलें अपनी या प्रवंचना औरों की दिखलाऊँ मैं। उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की अरे खिल-खिलाकर हँसतने वाली उन बातों की। मिला कहां वह सुख जिसका मैं स्वप्न देकर जाग गया। आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया। जिसके अरूण-कपोलों की मतवाली सुन्दर छाया में। अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में। उसकी स्मृति पाथेय बनी है थके पथिक की पंथा की। सीवन को उधेड़ कर देखोगे क्यों मेरी कंथा की? छोटे से जीवन की कैसे बड़े कथाएँ आज कहूँ? क्या यह अच्छा नहीं कि औरों की सुनता मैं मौन रहूँ? सुनकर क्या तुम भला करोगे मेरी भोली आत्मकथा? अभी समय भी नहीं, थकी सोई है मेरी मौन व्यथा

हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

Amar Ujala /  🏆 12. in İN

पाथेय जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य कविता अर्थ

इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें

Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।

हिंदी हैं हम: वल्लरी और माखनलाल चतुर्वेदी की कविताहिंदी हैं हम: वल्लरी और माखनलाल चतुर्वेदी की कविताहिंदी हैं हम शब्द श्रंखला में आज का शब्द है - वल्लरी, जिसका अर्थ है बेल, लता। इस कविता में माखनलाल चतुर्वेदी की कविता 'क़ैदी और कोकिला' को प्रस्तुत किया गया है।
और पढो »

कवि हरिवंशराय बच्चन की कविता में शब्द 'तारिका' का अर्थकवि हरिवंशराय बच्चन की कविता में शब्द 'तारिका' का अर्थहिंदी शब्द-शृंखला में आज का शब्द है 'तारिका' जिसका अर्थ है तारा और आंख की पुतली। कवि हरिवंशराय बच्चन ने अपनी कविता में इस शब्द का प्रयोग किया है।
और पढो »

विषण्ण - सुमित्रानंदन पंत की कविताविषण्ण - सुमित्रानंदन पंत की कविताहिंदी हैं हम शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है विषण्ण, जिसका अर्थ है दुखी या खिन्न। यह कविता सुमित्रानंदन पंत की है और विहग के प्रति उनके दृष्टिकोण को दर्शाती है।
और पढो »

विवर्तन: चक्कर लगाना, घूमना, टहलनाविवर्तन: चक्कर लगाना, घूमना, टहलनाहिंदी हैं हम शब्द शृंखला में आज का शब्द विवर्तन है, जिसका अर्थ है चक्कर लगाना, घूमना, टहलना। इस अवसर पर सुमित्रानंदन पंत की कविता परिवर्तन का अंश प्रस्तुत है।
और पढो »

हिंदी हैं हम: मर्त्य**हिंदी हैं हम: मर्त्य**मनुष्यता और परोपकार के बारे में मैथिलीशरण गुप्त की कविता के साथ शब्द 'मर्त्य' का अर्थ बताता है।
और पढो »

क़ैदी और कोकिला: माखनलाल चतुर्वेदी की कविताक़ैदी और कोकिला: माखनलाल चतुर्वेदी की कवितामाखनलाल चतुर्वेदी की कविता 'क़ैदी और कोकिला' में कोकिला के गाने का अर्थ समझाया गया है। कविता में कारागृह में बंद व्यक्ति की दुर्दशा को दर्शाया गया है।
और पढो »



Render Time: 2025-02-13 16:21:44