Global Navigation Satellite System; How GNSS Works? Everything You Need To Know लंबी लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है, लेकिन GNSS सिस्टम आने से वाहन चालकों को टोल टैक्स पर रुकने की कोई जरूरत नहीं है।
GNSS सिस्टम फास्टैग से कितना बेहतर, कैसे करेगा काम, लोगों को क्या फायदा होगाकेंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम शुरू करने का फैसला किया है। इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियम, 2008 में संशोधन की अधिसूचना जारी की गई है। इसके मुताबिक, अब पूरे देश में जल्द GPS के जरिए टोल टैक्स की वसूली की जाएगी।
GNSS सिस्टम आने से वाहन चालकों और सरकार दोनों के लिए टोल टैक्स देने व वसूलने की प्रक्रिया बहुत आसान हो जाएगी। अब टोल देने के लिए वाहन चालकों को टोल प्लाजा पर गाड़ी रोककर फास्टैग के जरिए या मैन्युअली पैसे देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।इससे वाहन चालकों को क्या फायदा होगा?GNSS एक सैटेलाइट बेस्ड यूनिट है, जिसे वाहनों में लगाया जाएगा। अब तक टोल बूथों पर मैन्युअली या फास्टैग के जरिए टोल टैक्स का भुगतान किया जाता है। इससे कई बार वाहन चालकों को टोल प्लाजा पर लंबी लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना...
वर्तमान में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण सालाना लगभग 40,000 करोड़ रुपए का टोल रेवेन्यू कलेक्ट करता है। GNSS के पूरी तरह से लागू होने के बाद आने वाले दो से तीन सालों में इसके बढ़कर 1.4 खरब होने की उम्मीद है। NHAI का लक्ष्य हाइब्रिड मॉडल का इस्तेमाल करके इस प्रणाली को मौजूदा फास्टैग सेटअप के साथ इंटीग्रेट करना है। जहां रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन और ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम दोनों लागू होंगे। GNSS से लैस वाहनों को बिना रुके गुजरने की अनुमति देने के लिए टोल प्लाजा पर GNSS लेन होंगी।क्यों नहीं हो पाती सच्चे प्यार की पहचानचित्तौड़गढ़ में बारिश का दौर थमाभोपाल समेत 38 जिलों में बारिश का कोटा फुलपंजाब-चंडीगढ़ में आज बारिश की संभावना नहींराजस्थान की बड़ी खबरें...
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