जर्मनी में मैरिटल रेप कैसे बना अपराध, भारत में क्या रोड़ा

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जर्मनी में 1997 से ही 'मैरिटल रेप' अपराध के दायरे में आता है. आज करीब 27 सालों बाद भारत उसी बहस से गुजर रहा है कि मैरिटल रेप को अपराध घोषित किया जाना चाहिए या नहीं.

भारत सरकार ने मैरिटल रेप के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में कहा कि शादी एक अलग श्रेणी है, जिसे दूसरे मामलों की तरह नहीं देखा जा सकता.1983 में जर्मनी की ग्रीन पार्टी की नेता पेट्रा केली ने संसद में मैरिटल रेप का मुद्दा उठाया था. उनका सवाल था कि क्या संसद के बाकी सदस्य शादी के रिश्ते में होने वाले बलात्कार को अपराध के तौर पर शामिल किए जाने के पक्ष में हैं? फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी के नेता डेट्लेफ क्लाइनेर्ट ने तपाक से कहा,"नहीं!" इसके बाद पूरी संसद में केली के सवाल पर ठहाके लगे थे.

जर्मनी में मैरिटल रेप पर बहस की शुरुआत करने का श्रेय यहां की महिला नेताओं को दिया जाता है. इन्हीं नेताओं में से एक थीं पेट्रा केली.मैरिटल रेप को कानूनी रूप से अपराध घोषित किए जाने का श्रेय जर्मनी की अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों की महिलाओं के गठबंधन को दिया जाता है. इसमें ग्रीन पार्टी, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी , क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन जैसी राजनीतिक पार्टियों की नेता शामिल थीं. 1997 में जब मैरिटल रेप के खिलाफ कानून बना, तो संसद की 90 फीसदी महिला नेताओं ने इसके पक्ष में वोट किया.

जर्मनी के गैर-सरकारी नारीवादी संगठन 'फ्राउएन मीडिया टर्म' के मुताबिक, अप्रैल 1976 में स्टर्न पत्रिका में एक सर्वे प्रकाशित हुआ था. इसके अनुसार उस समय हर पांच में से एक शादीशुदा महिला को सेक्स के लिए पति द्वारा मजबूर किया जाता था. इसी सर्वे में हर पांच में से एक महिला का यह भी मानना था कि एक पत्नी को अपने पति के साथ सेक्स के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए.

संयुक्त राष्ट्र ने भी 1993 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा संबंधी अपने घोषणपत्र में मैरिटल रेप को शामिल किया था. यूएन ने सभी देशों से कहा था कि इसे महिलाओं के साथ हिंसा के तौर पर ही देखा जाए. साथ ही, इससे जुड़े कानून बनाने की भी गुजारिश की थी. विश्लेषकों के अनुसार, चूंकि यह अपराध घर के बंद कमरों में होता है, इसलिए इसे लेकर समाज में शुरू से ही एक तरह की मौन स्वीकृति रही है.

भारत उन देशों में शामिल है, जहां मैरिटल रेप के खिलाफ कानून बनने की राह में कई अड़चनें हैं. हाल ही में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस विषय पर एक हलफनामा दायर किया. इसमें कहा गया कि शादीशुदा जोड़े के बीच असहमति से बने संबंध को बलात्कार नहीं माना जा सकता. यहां सरकार ने वैसी ही दलील दी, जो 1990 के दशक में जर्मनी में कुछ राजनीतिक पार्टियों ने दी थी. भारत सरकार ने कहा कि शादी एक अलग श्रेणी है, जिसे दूसरे मामलों की तरह नहीं देखा जा सकता.

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