जागरण संपादकीय: सांस्कृतिक समागम का शिखर, परंपरा, धर्म और दर्शन का प्रतीक महाकुंभ

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जागरण संपादकीय: सांस्कृतिक समागम का शिखर, परंपरा, धर्म और दर्शन का प्रतीक महाकुंभ
Maha KumbhImportance Of GangaPuja Path Rules
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कुछ इतिहासकारों का मत है कि कुंभ मेला सिंधु घाटी सभ्यता से भी पुराना है। चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने सम्राट हर्षवर्धन के शासन में संपन्न कुंभ मेले का वर्णन किया है। कुंभ मेलों में शास्त्रार्थ होते थे। आध्यात्मिक दार्शनिक विषयों पर चर्चा होती थी। शंकराचार्य ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया था। कुंभ सारी दुनिया को विश्वबंधुत्व लोककल्याण एवं विश्वशांति का...

हृदयनारायण दीक्षित। महाकुंभ अंतरराष्ट्रीय चर्चा का विषय है। प्रयागराज में विश्व का सबसे बड़ा मेला सजा है। लाखों श्रद्धालु कड़ाके की ठंड के बावजूद कुंभ का आनंद ले रहे हैं। महाकुंभ देश-विदेश के अनगिनत श्रद्धालुओं की जिज्ञासा है। भारत का चित्त और विवेक सनातन धर्म से प्रेरित है। इसी धर्म से संचालित भारतीय संस्कृति हजारों वर्ष के अनुभवों का परिणाम है। संस्कृति और परंपरा अंधविश्वास नहीं हैं। ये विशेष प्रकार के इतिहास हैं। इतिहास में शुभ और अशुभ साथ-साथ चलते हैं। शुभ को राष्ट्रजीवन से जोड़ना और लगातार...

’ गाकर स्तुति करते हैं। कुछ लिबरल छद्म सेक्युलर सरस्वती को स्वीकार नहीं करते। सरस्वती का अस्तित्व सिद्ध हो चुका है। ऋग्वेद में सरस्वती को नदीतमा कहा गया है। तीनों संगम में मिलती हैं। तब तप, यज्ञ और योग की तपोभूमि प्रयाग हो जाती है और प्रयाग हो जाता है तीर्थराज। प्रयाग सामान्य नगर क्षेत्र नहीं है। सरकारें खूबसूरत नगर बना सकती हैं, लेकिन प्रयाग जैसा तीर्थ कोई भी सत्ता नहीं बना सकती। प्रयाग जैसे तीर्थ हजारों वर्ष की तप साधना में विकसित होते हैं। गजब की है यह पुण्यभूमि। पाणिनि ने यहीं पर...

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