महाकुंभ नगर में साधु-संतों के लंबे केश देखने को मिल रहे हैं। ये बाल केवल साधना का प्रतीक नहीं हैं बल्कि संकल्प और हठ का भी प्रतीक हैं।
अमरदीप भट्ट, महाकुंभ नगर। साधु संत ों के सिर पर आप लंबे-लंबे केश (बाल) देखते होंगे। भारी भरकम जूड़े, एक दूसरे में फंसकर बालों की बनती जटा एं और शरीर से भी ज्यादा इनकी लंबाई। यह केवल केश नहीं बल्कि शिव की साधना है जो संत ों के संकल्प, उनके हठ को भी दिखाते हैं। संत ों को साधना के दौरान अपने केश की देखभाल विशेष प्रकार से करनी होती है। ऐसे संत भी हैं जिन्होंने केश में वर्षों से साबुन या शैंपू नहीं लगाया बल्कि इनकी सफाई भभूत से करते हैं। जूड़े बनाने में एक से डेढ़ घंटे लग जाते हैं। महाकुंभ नगर में तप
साधना करने वाले विभिन्न संप्रदाय के संत संन्यासियों का जमावड़ा होने लगा है।इनमें शैव संप्रदाय के संतों में अधिकांश के सिर पर जटा-जूट है। तमाम संन्यासी ऐसे हैं जिनके बाल की लंबाई उनके शरीर की लंबाई से अधिक है। ऐसे संत भी हैं जिन्होंने अपनी बाल 15 साल या इससे भी अधिक अवधि से नहीं कटवाया है। जागरण कोलकाता के गुरु बालक ब्रह्मचारी आश्रम से आईं लक्ष्मी मंडल के बाल देख लोग अचंभित हो रहे हैं। मसान साधना करने वाली लक्ष्मी मंडल कहती हैं कि वह मां काली और कैलाशपति भगवान भोलेनाथ को मानती हैं। बाल के संबंध में बताया कि माथे की तरफ शैंपू लगाकर धुलाई कर लेती हैं। साधना शिव के प्रति है, शिव की जटाएं खुली हुई हैं, इसलिए बतौर साधक अपने बाल में कभी जूड़ा नहीं बांधतीं। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के थानापति प्रहलाद गिरि ने अपने बाल सात साल से नहीं कटवाए। कहते हैं जटा तो साधु का श्रृंगार है। शिव की साधना करते हैं तो सब कुछ भूल जाते हैं। यह भी याद नहीं रहता कि बाल लंबे हो रहे हैं या दाढ़ी बढ़ रही है। बालों की रखवाली के प्रश्न पर कहाकि समय-समय पर इनकी सफाई भभूत से करते हैं। बाल को साफ करने में दो से तीन घंटे लग जाते हैं। जब से संकल्प लिया बाल में कभी साबुन या शैंपू नहीं लगाया। हालांकि बीमारी की स्थिति में चिकित्सक के परामर्श के अनुसार साधु अपने केश कटवा
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