जागरण संपादकीय: सिकुड़ता गरीबी का दायरा, आर्थिक प्रगति के सकारात्मक संकेत

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जागरण संपादकीय: सिकुड़ता गरीबी का दायरा, आर्थिक प्रगति के सकारात्मक संकेत
Poverty In India
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मौजूदा व्यवस्था में गेहूं और धान जैसी फसलों के लिए कायम न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी और खरीदारी से जुड़ा तंत्र इनकी मांग घटने के बावजूद उनके उत्पादकों को असंगत रूप से लाभ पहुंचाने वाला है। ऐसे में बागवानी डेरी और मवेशियों पर जोर देना टिकाऊ एवं सतत विकास की ओर अग्रसर करने के साथ ही कृषि उत्पादकता एवं पोषण के मोर्चे को भी मजबूत...

विवेक देवराय आदित्य सिन्हा। गरीबी के मुद्दे पर लंबे समय से गंभीर बहस होती आई है। इस बहस का एक बिंदु यह भी होता है कि आर्थिक वृद्धि का गरीबी पर क्या असर पड़ता है। अमूमन यही माना जाता है कि आर्थिक वृद्धि के विस्तार के साथ ही गरीबी का दायरा सिकुड़ता है। भारत में गरीबी का आकलन गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों की संख्या से किया जाता है। जीवन निर्वाह के लिए वस्तुओं और सेवाओं की एक न्यूनतम कसौटी को गरीबी रेखा के तौर पर मान्यता दी गई है। चूंकि घरेलू सर्वेक्षणों से प्राप्त आमदनी के आंकड़े...

चलते लोग अपने भोजन में फल, सब्जियां, डेरी उत्पाद और एनिमल प्रोटीन शामिल कर रहे हैं। यह परिवर्तन भारत की कृषि एवं पोषण नीतियों के पुनर्मूल्यांकन की मांग करता है, जो नीतियां अनाज उत्पादन की ओर उन्मुख रही हैं। यह रिपोर्ट इस बात को साफ तौर पर रेखांकित करती है कि हमारी कृषि नीतियों की दिशा फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन देने पर केंद्रित होनी चाहिए। मौजूदा व्यवस्था में गेहूं और धान जैसी फसलों के लिए कायम न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी और खरीदारी से जुड़ा तंत्र इनकी मांग घटने के बावजूद उनके उत्पादकों...

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