न्यायमूर्तियों ने इस मुद्दे पर एएसआइ आदि संस्थाओं का सहयोग लिया है लेकिन पूजा स्थल अधिनियम ने यह संवैधानिक मार्ग भी बंद कर दिया है। हिंदुओं की भावना को गहराई से समझना चाहिए। मंदिर ध्वस्तीकरण राष्ट्रीय स्वाभिमान को रौंदने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। कोई भी सजग राष्ट्र ऐसे राष्ट्रीय अपमान को कैसे भूल सकता है। आखिर देश को नीचा दिखाने के आपराधिक कृत्य...
हृदयनारायण दीक्षित। भारत के मन में मंदिरों के प्रति प्राचीन काल से ही श्रद्धा भाव है, लेकिन ऐसे सैकड़ों मंदिर मध्यकाल में ध्वस्त किए गए। ध्वस्त मंदिरों की सामग्री से मस्जिदें बनाई गईं। ऐसे ध्वस्त मंदिर भारत के मन में घाव की तरह रिसते हैं। मूलभूत प्रश्न है कि जिन विदेशी आक्रांताओं ने मंदिरों पर मस्जिदें बनाईं, क्या उनके सामने जगह का अभाव था? यह एक तथ्य है कि भारत में अनेक मस्जिदें मंदिरों को तोड़कर ही बनाई गई हैं। राम मंदिर के लिए छिड़ा अयोध्या आंदोलन यूरोप के पुनर्जागरण जैसा था। इसी दौरान...
इतिहास जानना हमारा अधिकार है। इतिहासबोध से राष्ट्र शक्तिशाली रहते हैं। जीवंत राष्ट्र इतिहास से सीखते हैं, मगर यह अधिनियम 1947 से पूर्व सांस्कृतिक राष्ट्रभाव की चर्चा सीमित करता है। यह इतिहास के प्रवाह की उपेक्षा है। अधिनियम पारण की हमारी संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार विधेयक सदन में रखने के साथ उसके उद्देश्य का विवरण भी दिया जाता है कि सरकार विधेयक क्यों लाई? उपासना स्थल अधि.
Places Of Worship Act 1991 Supreme Court SC Places Of Verdict Act BJP धार्मिक पूजा स्थल कानून 1991 सुप्रीम कोर्ट एससी
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