सौभाग्यवश नई तकनीक ने पूरी दुनिया में इस तालाबंदी में सुराख कर दिया है। अब दुनिया के किसी भी कोने से कोई व्यक्ति उन्मुक्त रूप से किसी तथ्य और प्रमाण को पूरी दुनिया के सामने रख सकता है। अतः यही उपयुक्त है कि सही इतिहास की शिक्षा दी जाए। किसी मतवाद दल नेता के हित या अहित की फिक्र से हटकर ही ज्ञान और विद्या का लाभ हो सकता...
शंकर शरण। बीते दिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमारे इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई है। अतीत में यह बात प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री भी कह चुके हैं, लेकिन इतिहास को सही रूप में पेश करने का काम नहीं हो पा रहा है और वह भी तब, जब सभी इससे परिचित हैं कि सच्चे इतिहास की जानकारी के अभाव में लोगों के बीच नासमझी की खाई बन जाती है। वे लोग एक रह ही नहीं जाते। उनके स्वर विपरीत होने लगते हैं, जिससे एक-दूसरे को उपयुक्त रूप से नहीं समझ पाते। सही इतिहास जानने की इस महत्ता से हमारे नीति-निर्माता अनभिज्ञ...
सच्ची बातों और कटु स्मृतियों का दमन हुआ। हालांकि ऐसी स्मृतियां मिटती नहीं। कालांतर में वे किसी भी रूप में ज्वालामुखी होकर फटती हैं। अज्ञेय ने कहा था, ‘जबरन दमित करने से कुछ स्मृतियां प्राकृतिक रूप से लुप्त नहीं हो पातीं। उलटे उनमें ऊर्जा का ऐसा संचय होने लगता है, जिसके परिणाम अपूर्वानुमेय हो जाते हैं।’ कुछ विद्वान मानते हैं कि कोई संपूर्णत: वैज्ञानिक या वस्तुगत इतिहास नहीं होता। हर लेखन में लेखक के कुछ आग्रह, पूर्वाग्रह या भूल होती ही है। भारतीय इतिहास में भी कई बड़े नेताओं के विचार और उनके...
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