मणिपुर में सक्रिय हथियारबंद गुट चाहे वे किसी भी समुदाय के हों उनका निशस्त्रीकरण भी आवश्यक हो गया है। वर्तमान के विषाक्त माहौल में यह बातचीत से संभव नहीं दिखता। ऐसे में आवश्यक है कि खालिस्तानी आतंकवाद के दौर में पंजाब में तमाम आतंकी गुटों के बलपूर्वक निशस्त्रीकरण के लिए चलाए गए सैन्य अभियान जैसा ही अभियान मणिपुर में भी चलाया...
दिव्य कुमार सोती। पिछले करीब डेढ़ साल से अशांत चल रहे मणिपुर में हिंसा और अशांति ने फिर से सिर उठा लिया। इसके चलते वहां बंद और कर्फ्यू वाले दिन लौट आए हैं। यह भी चिंताजनक है कि वहां खतरनाक ड्रोन और राकेट से हमले होने लगे हैं। इतना ही नहीं, सीआरपीएफ जैसे अर्धसैनिक बल को निशाना बनाया जा रहा है। अराजकता की यह स्थिति तब है जब वहां केंद्रीय सुरक्षा बलों के लगभग 70,000 जवान तैनात हैं। स्पष्ट है कि इतनी बड़ी तैनाती के बावजूद समस्या की जड़ों को पहचान कर उन पर आवश्यक कार्रवाई नहीं हो पाई है। यदि वहां...
अंजाम दे रहे हैं और उपरोक्त समझौते की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं। हालांकि उग्रवादी संगठनों के हाथ में सीमावर्ती चिन प्रदेश चले जाने के चलते और म्यांमार में भारतीय सामरिक हितों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार इन गुटों को नाराज करने से बच रही है और समझौते को स्थगित नहीं कर रही है, जबकि मणिपुर सरकार इससे हाथ खींच चुकी है। इस पूरे घटनाक्रम से मैतेयी समुदाय में असंतोष बढ़ता जा रहा है, क्योंकि हिंसक हमलों को अंजाम देने के बाद आतंकी इन सुरक्षित कैंपों में शरण ले लेते हैं। चूंकि मणिपुर पुलिस और...
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