जिसे लोफर कहकर देते थे ताने, अब ठोक रहे सैल्यूट... मुर्गे बेचते-बेचते अफसर बनने वाले हैदर अली की कहानी

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जिसे लोफर कहकर देते थे ताने, अब ठोक रहे सैल्यूट... मुर्गे बेचते-बेचते अफसर बनने वाले हैदर अली की कहानी
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ये कहानी है एक ऐसे नौजवान की, जिसने अपनी पढ़ाई के लिए चिकन शॉप में मजदूरी की। जब पढ़ाई रुकने लगी तो उसकी मां ने अपने गहने और पुश्तैनी जमीन बेच दी। वो तीन बार नाकामयाब हु्आ और चौथी कामयाबी के लिए उसे टाइफाइड से लड़ते हुए दौड़ना पड़ा। लेकिन, आखिर में उसकी जीत हुई और वो अफसर बन...

नई दिल्ली: 'जब मैं लगातार तीसरी बार फेल हुआ, तो मेरी हिम्मत टूट गई। परिवार के भी सारे सपने बिखर गए। मां तो ऐसे रोई, जैसे मैं मर गया हूं। उस दिन मैंने अपने पिता की आंखों में भी आंसू देखे। शायद वो पहली बार था, जब मेरे पिता रोए थे। परिवार में कोई ऐसा नहीं था, जो मेरी नाकामयाबी से टूटा ना हो। लेकिन, कुछ दिन बाद मेरे पिता ने फिर से मुझे तैयारी करने के लिए कहा। उन्होंने एक ही बात बोली कि तुम्हें मिसाल बनना है। अब तुम नाकामयाबी की मिसाल बनते हो या कामयाबी की, ये तुम्हारे ऊपर है...

तुमसे फीस मांगी किसने है, तुम दरोगा बनकर कंधे पर दो स्टार लेकर आओ, वही हमारी फीस होगी।2012 और 2015 में मिली नाकामयाबीपटना में हैदर ने रहमान सर का कोचिंग सेटंर जॉइन किया और 2012 के आखिर में आरपीएफ सब इंस्पेक्टर की परीक्षा दी। इस परीक्षा में वो पास हो गए, दौड़ में भी क्वालीफाई कर लिया लेकिन आधा सेंटीमीटर से सीना माप में रह गए। हैदर के लिए ये पहला झटका था। इसके तीन साल बाद उन्होंने बिहार सब इस्पेक्टर की परीक्षा दी लेकिन इसमें भी सफल नहीं हो पाए। लगातार दूसरी बार नाकामयाबी मिलने से हैदर की हिम्मत...

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