वित्त वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट पेश किया गया है, लेकिन झारखंड में इसका स्वागत विवादास्पद रहा है। जबकि कुछ इसे विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानते हैं, अन्य इसे झारखंड की उपेक्षा का प्रमाण मानते हैं।
राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के सर्वेक्षण और अनुमानों को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश किया। इस बजट में विभिन्न क्षेत्रों को समर्थन देने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कई घोषणाएं की गई हैं। बजट को पक्ष के नेताओं ने सराहा है, जबकि विपक्ष के नेताओं ने इसे जुमलेबाजी करार दिया है। झारखंड के श्रम नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग तथा उद्योग विभाग के मंत्री संजय प्रसाद यादव ने भी इस बजट पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि
केंद्र सरकार के इस आम बजट में झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार किया गया है। झारखंड का बकाया 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये का जिक्र भी नहीं किया गया। मंत्री यादव ने कहा कि झारखंड में टूरिज्म उद्योग और कौशल विकास का एक बड़ा केंद्र बनाया जा सकता है। भाकपा माले के झारखंड राज्य सचिव मनोज भक्त ने कहा कि मोदी सरकार का वर्तमान बजट अमीरों को और अमीर बनाने के लिए है। यह निम्न आय तबकाें की आय को और संकुचित करेगा। कृषि के लिए जुमलेबाजी भी पुरानी है। मोदी सरकार ने वर्तमान बजट में झारखंड के प्रति बदला लेने वाला रूख का इजहार किया है। उन्होंने कहा कि यह सार्वजनिक क्षेत्रों की कॉरपोरेट लूट के साथ-साथ सुरक्षित नियोजन पर घातक हमला को बढ़ाएगा। माकपा के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव ने कहा कि यह बजट जनता की आखों में धूल झोंकने का नया पैंतरा है। इस बजट में झारखंड की उपेक्षा हुई है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में रुपये के गिरते हालत पर कुछ नहीं कहा है जो आज एक डालर के मुकाबले 86 रुपये हो गया है। यह मौजूदा समस्याओं को और बढ़ाएगा। प्रकाश विप्लव ने कहा कि रोजगार के अवसर नहीं बढ़ रहे हैं। आम लोगों पर बोझ निरंतर बढ़ता जा रहा है। इस जनविरोधी व कॉरपोरेट परस्त बजट के खिलाफ पांच फरवरी को देश के किसानों और मजदूर संगठनों के देश विरोधी कार्रवाई का माकपा समर्थन करेगी। भाकपा के राज्य कार्यालय सचिव सह रांची जिला मंत्री अजय सिंह ने कहा कि यह आम बजट न होकर खास तबके का बजट है। आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स और इंश्योरेंस सेक्टर में 100 प्रतिशत एफडीआई इसका प्रमाण है। महंगाई, बेरोजगारी, शिक्षा पर मूलभूत सुविधाओं के लिए कोई प्रविधान नहीं है। उन्होंने कहा कि कृषि व किसानों के लिए खाद्य और उपकरणों पर कोई घोषणा नहीं हुई। झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार किया गया है
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