पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब के साथ व्यापार पर ज़ोर दिया है, यह कहकर कि सऊदी अरब अमेरिकी सामान का सौदा कर सकता है। सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अमेरिका में पूंजी निवेश बढ़ाने का वादा किया है। ट्रंप के प्रस्ताव में सऊदी-अमेरिकी व्यापार को एक हज़ार अरब डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य शामिल है।
इमेज कैप्शन,शपथ ग्रहण के फ़ौरन बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह पहले विदेशी दौरे के लिए दोबारा सऊदी अरब का चुनाव कर सकते हैं, लेकिन शर्त यह है कि सऊदी अरब साढ़े चार सौ अरब डॉलर का अमेरिकी सामान ख़रीदे.
सऊदी अरब और अमेरिका के बयान दोनों देशों के बीच संबंधों के भविष्य के बारे में बताते हैं. ये बयान बताते हैं कि मूल रूप से दोनों पक्षों के आर्थिक हित किस तरह से एक दूसरे पर निर्भर हैं.कैसे दोनों देशों के बीच संबंधों को तब बहुत ख़ास क़रार दिया गया था, बावजूद इसके कि ट्रंप ने सऊदी कंपनी 'आरामको' के तेल के संयंत्रों पर हमले के बाद भी ईरान के साथ युद्ध शुरू करने से मना क्यों किया था.ट्रंप ने पहली बार अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद पहला विदेशी दौरा सऊदी अरब का किया था.
डोनाल्ड ट्रंप के पहले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान सऊदी अरब ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में काफ़ी पूंजी निवेश किया. यह पूंजी निवेश तेल से हटकर सऊदी अरब के आर्थिक हितों को विविध बनाने की एक व्यापक कोशिश का हिस्सा था. यह रणनीति सऊदी अरब के 'विज़न 2030' के तहत अपनाई जा रही है.सऊदी रणनीति विशेषज्ञ हसन अल-शोहरा ने बताया कि जो बाइडन के दौर में सैनिक लक्ष्यों का बहुत कम हिस्सा हासिल किया जा सका.
जहां तक अमेरिका में सऊदी अरब के प्रस्तावित पूंजी निवेश का संबंध है अल-शोहरा ने इस मामले को दोनों देशों के लिए एक अहम भू-रणनीतिक मोड़ और उनके बीच संबंधों की गहराई और कई दशकों पुराने संबंधों का सबूत बताया. टीकाककारों का मानना है कि अगर ट्रंप पिछला चुनाव जीतकर बाइडन की जगह व्हाइट हाउस तक पहुंच जाते तो हालात अलग होते, ख़ासकर अमेरिका में सऊदी अरब के पूंजी निवेश की दृष्टि से. वह कहते हैं कि ऐसे में दोनों देशों के बीच रिन्यूएबल एनर्जी, रक्षा, टेक्नोलॉजी, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा क्षेत्र में शोध पर समझौते हो गए होते.अमेरिका चाहता है कि सऊदी अरब और इसराइल के संबंध बहाल हो जाएं
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